वॉशिंगटन । सूरज के दक्षिणी हिस्से से चली एक आंधी आने वाले दिनों में धरती पर पहुंच सकती है। अमेरिका की नेशनल ओशेनिक एंड अटमॉस्फीयर अथॉरिटी (एनओएए) के स्पेस वेदर एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह सोलर पार्टिकल 500 किमी प्रति सेकंड की गति से अंतरिक्ष में आगे बढ़ रहे हैं और अब तक सूरज से 15 करोड़ किमी दूर निकल चुके हैं। माना जा रहा है कि रविवार या सोमवार को किसी समय यह धरती के वायुमंडल से टकरा सकते हैं।
नेशनल ओशैनिक एंड अटमॉस्फीयर अथॉरिटी के विशेषज्ञों का कहना है कि इनकी वजह से आर्कटिक ऑरोरा पैदा हो सकता है। ऑरोरा वह रोशनी होती है जो धरती के मैग्नेटोस्फीयर में सोलर विंड के टकराने से पैदा होती है। नीले और हरे रंग की रोशनी एक दिलकश नजारा पेश करती है, जिसे देखने के लिए लोग इंतजार में रहते हैं। ये उत्तरी गोलार्ध में नार्दर्न लाइट्स या ऑरोरा बोरियैलिस की शक्ल में आसमान में अद्भुत छटा बिखेरते हैं।
सौर्य तूफानों का असर सैटलाइट पर आधारित टेक्नॉलजी पर भी हो सकता है।
सोलर विंड की वजह से धरती का बाहरी वायुमंडल गरमा सकता है जिससे सैटलाइट्स पर असर हो सकता है। इससे जीपीएस नैविगेशन, मोबाइल फोन सिग्नल और सैटलाइट टीवी में रुकावट पैदा हो सकती है। पावर लाइन्स में करंट तेज हो सकता है जिससे ट्रांसफॉर्मर भी उड़ सकते हैं। हालांकि, आमतौर पर ऐसा कम ही होता है, क्योंकि धरती का चुंबकीय क्षेत्र इसके खिलाफ सुरक्षा कवच का काम करता है।
आखिरी बार इतना शक्तिशाली तूफान 1859 में आया था जब यूरोप में टेलिग्राफ सिस्टम बंद हो गया था। विशेषज्ञों का मानना है कि सौर्य तूफानों का अध्ययन किया जाना और उनसे अपनी तकनीक और उपकरणों को बचाना बहुत जरूरी है। यह रेडिएशन ट्रिलियन डॉलर का नुकसान धरती को पहुंचा सकते हैं और इनकी वजह से ध्वस्त हुआ इन्फ्रास्ट्रक्चर दोबारा खड़ा करने में कई साल लग सकते हैं।