वॉशिंगटन। हाल ही में एसईटीआई इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने एक ऐसे दुर्लभ धूमकेतु की खोज की है जो 4000 साल बाद धरती की ओर आ रहा है। इससे पहले यह 2000 ईसापूर्व में धरती के करीब से गुजरा था। एसईटीआई इंस्टीट्यूट के मेटियोर एस्ट्रोनॉमर और इस स्टडी के लेखक पीटर जेनिसकेंस ने कहा यह धरती के लिए खतरनाक हो सकता है। ये 2000 ईसापूर्व में देखा गया था। उसके बाद अब ये वापस धरती की ओर आ रहा है। यानी पूरे चार हजार साल के बाद। हमने इनकी निगरानी कैमरास फॉर ऑलस्काई मेटियोर सर्विलांस (सीएएमएस) की मदद से की है। ये कैमरा रात में धरती की ओर आने वाले धूमकेतुओं, एस्टेरॉयड्स और उल्कापिंडों पर नजर रखता है।
पीटर ने बताया कि सीएएमएस से हम यह पता कर पाते हैं कि धूमकेतु की ट्रैजेक्टरी, उसका रास्ता और धरती पर वो कौन से संभावित देश हो सकते हैं जहां इसके उल्कापिंडों की बारिश दिखेगी। पीटर ने बताया कि सीएएमएस नेटवर्क दुनिया के 9 देशों में है। पीटर जेनिसकेंस ने बताया कि हाल के वर्षों में ऑस्ट्रेलिया, चिली और नामीबिया में त्रिकोणीय उल्का देखे जाने की संख्या बढ़ी है। ये सारी जानकारी हमें सीएएमएस नेटवर्क से मिली है। अभी तक हमें पता था कि सिर्फ पांच ही धूमकेतु हैं जो लंबे समय में धरती का चक्कर लगाते हैं। लेकिन अब हमनें 9 को खोज लिया है। ये संभवतः 15 हो सकते हैं लेकिन उनकी जांच अभी बाकी है। चार हजार साल बाद धरती की ओर आ रहा धूमकेतु भी इसी 9 में शामिल है। वैज्ञानिक कहते हैं कि इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि बड़े धूमकेतु धरती की ओर आ सकते हैं। क्योंकि इनकी ऑर्बिट ऐसी होती है कि ये जल्दी दिखते नहीं। ये सूरज के चारों तरफ लंबी यात्रा करते हैं। अगर ये धरती की ओर आए तो इनकी गति बहुत ज्यादा हो सकती है। ये बड़ी तबाही ला सकते हैं। पीटर जेनिसकेंस ने कहा कि भविष्य में हम सीएएमएस नेटवर्क को और बढ़ाएंगे। ताकि हम सुदूर अंतरिक्ष से धरती की ओर आने वाले धूमकेतुओं, एस्टेरॉयड्स आदि का अध्ययन कर सकें और पृत्वी को संभावित खतरे से बचा सकें। हर रात सीएएमएस हमें ये बताता है कि धरती के ऊपर अंतरिक्ष के किस तरफ से धूमकेतु के पीछे छूटा हुआ कचरा आ रहा है। इससे हमें ये पता लगता है कि किस देश के ऊपर आसमानी आतिशबाजी हो सकती है। साथ ही खतरा क्या हो सकता है।