एजुकेशन पर खर्च को लेकर यूएन क्यों कर रहा भारत की तारीफ? समझ लीजिए

Updated on 24-10-2024 12:55 PM
नई दिल्ली : यूनेस्को ने भारत के शिक्षा बजट के लिए अलॉटमेंट को लेकर भारत की तारीफ की है। यूनेस्को का कहना है कि भारत ने साल 2015 से 2024 के बीच, अपनी जीडीपी का लगभग 4.1 प्रतिशत से 4.6 प्रतिशत शिक्षा के लिए अलॉट किया। यह 'शिक्षा 2030 फ्रेमवर्क फॉर एक्शन' की तरफ से निर्धारित अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों के अनुरूप है। इसमें सिफारिश की गई है कि देश अपने सकल घरेलू उत्पाद का 4-6 प्रतिशत शिक्षा के लिए आवंटित करें।

2030 के लक्ष्य के अनुरूप


विश्व शिक्षा सांख्यिकी पर यूनेस्को इंस्टीट्यूट फॉर स्टैटिस्टिक्स की रिपोर्टों की एक नई सीरीज से पता चला है कि इसी अवधि के दौरान भारत का शिक्षा पर सरकारी खर्च 13.5 प्रतिशत और 17.2 प्रतिशत के बीच ऊपर-नीचे होता रहा है। यह लिमिट एजुकेशन 2030 लक्ष्य के अनुरूप है। लक्ष्य के अुसार सरकारों को अपने सार्वजनिक व्यय का 15-20 प्रतिशत एजुकेशन के लिए अलॉट करने के लिए प्रोत्साहित करता है।

ये रिपोर्ट ग्लोबल एजुकेशन इनवेंस्टमेंट ट्रेंड का डिटेल एनालिसिस करती है। यह विशेष रूप से सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने के संबंध में, विशेष रूप से एसडीजी 4, जो समावेशी और न्यायसंगत गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने पर केंद्रित है। भारत का एजुकेशन में निवेश स्थिर रहा है। यहअंतरराष्ट्रीय मानदंडों के अनुरूप है और जीडीपी प्रतिशत और सरकारी व्यय दोनों के संदर्भ में अपने कुछ पड़ोसियों की तुलना में अधिक निवेश कर रहा है।

ग्लोबल ट्रेंड के उलट भारत


अन्य मध्य और दक्षिणी एशियाई देशों की तुलना में, भारत ने जीडीपी प्रतिशत और सरकारी व्यय दोनों के संदर्भ में अधिक निवेश किया है, जो शिक्षा में औसत निवेश में गिरावट की ग्लोबल ट्रेंड के विपरीत है। रिपोर्ट में कहा गया है कि नेपाल और भूटान सहित दक्षिण एशियाई देश अपने सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 4-6 प्रतिशत शिक्षा पर खर्च करते हैं, जबकि अफगानिस्तान और पाकिस्तान जैसे देश खर्च और रिसोर्स अलॉटमेंट दोनों के मामले में पिछड़ रहे हैं।

कौन देश, कितना कर रहा खर्च


रिपोर्ट में इस बात पर रोशनी डाली गई है कि कुल खर्च के प्रतिशत के रूप में, विश्व औसत में गिरावट आ रही है। मध्य और दक्षिणी एशिया के देश 2010 के दशक की तुलना में अधिक निवेश कर रहे हैं। अन्य क्षेत्रों में गिरावट देखी गई है। साल 2022 में, मध्य और साउथ एशिया में जीडीपी के प्रतिशत के रूप में शिक्षा पर भारत का खर्च केवल भूटान (7.5 प्रतिशत), कजाकिस्तान (7.2 प्रतिशत), मालदीव (4.7 प्रतिशत), ताजिकिस्तान (5.7 प्रतिशत) और उज्बेकिस्तान (5.2 प्रतिशत) से कम है।

पूरे एशिया की तुलना में, भारत का व्यय चीन और जापान जैसे देशों से अधिक है। वैश्विक स्तर पर, शिक्षा पर सार्वजनिक व्यय के विश्व औसत में गिरावट देखी गई है, जो 2010 में 13.2 प्रतिशत से घटकर 2020 में 12.5 प्रतिशत हो गई है, जिसमें कोविड-19 महामारी के बाद उल्लेखनीय कमी आई है।
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