न्यूयॉर्क । वैश्विक महामारी बनकर दो लाख से ज्यादा जिंदगियां लील चुके कोरोना वायरस के वैक्सीन का अमेरिका में जल्द ही ह्यूमन ट्रायल शुरू होने वाला है। कोरोना की यह वैक्सीन इंजेक्शन में न होकर टेबलेट के रूप में है। वैज्ञानिकों ने कहा है कि इस वैक्सीन का बड़े पैमाने पर उत्पादन इसी साल के अंत से शुरू हो सकता है।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले इजरायल और इटली भी वैक्सीन बनाने का दावा कर चुके हैं। अमेरिकी बॉयोटेक कंपनी वैक्सार्ट के मुख्य वैज्ञानिक और इम्यूनोलॉजिस्ट डॉ सीन टकर कैलिफोर्निया स्थित लैब में में कई अलग-अलग वैक्सीन का परीक्षण कर रहे हैं। जिनमें से कुछ जुलाई के शुरू में ह्यूमन ट्रायल के दौर में प्रवेश करेंगे। बड़ी बात यह है कि ये सभी वैक्सीन इंजेक्शन के बजाय टैबलेट की शक्ल में होंगी।
डॉक्टर टकर ने कहा कि मुझे उम्मीद है कि इस साल के अंत या अगले साल की शुरुआत में हम कोरोना की वैक्सीन का बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू कर देंगे। उन्होंने अमेरिकी सरकार द्वारा वैक्सीन की खोज के लिए जारी किए गए कम बजट की तारीफ भी की। डॉ टकर जनवरी से ही कोरोना वैक्सीन की खोज के लिए अपनी लैब में 8 सदस्यीय टीम के साथ सप्ताह के सातों दिन काम कर रहे हैं। यह वैक्सीन मरे हुए एंडेनोवायरस से बनाई गई है।
उल्लेखनीय है कि एंडेनोवायरस के कारण ही मानव शरीर में सामान्य सर्दी पैदा होती है। एंडेनोवायरस ज्यादा हानिकारक नहीं होता। बचपन में होने वाली 10 फीसदी बीमारियां इसी वायरस के कारण होती हैं। कोरोना वायरस के इलाज के लिए दवा की खोज में रूस को सकारात्मक नतीजे मिले हैं। रूस के डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड (आरडीआईएफ) और टॉप फार्मेसी ग्रुप केमकार ने ऐलान किया है कि फेवीपिरावीर नाम की दवा के ट्रायल में 60% मरीज कोरोना वायरस के लिए निगेटिव पाए गए। अस्पताल में भर्ती 40 मरीजों पर रैंडम तरीके से क्लिनिकल ट्रायल किया गया था। ट्रीटमेंट के 5 दिन बाद वे निगेटिव पाए गए। इस प्रॉजेक्ट के लिए आरडीआईएफ ने 2 मिलियन डॉलर का फंड दिया है।