बाजार में गिरावट से पहले वॉरेन बफे और म्यूचुअल फंड्स ने लगाया नकदी का ढेर, जानिए क्या है वजह

Updated on 06-08-2024 05:33 PM
नई दिल्ली: दुनियाभर के शेयर मार्केट्स में सोमवार को भारी गिरावट देखने को मिली। इसकी एक बड़ी वजह यह भी मानी जा रही है कि अभी शेयर मार्केट ओवरवैल्यूड है। अगर आपके लिए बाजार की मौजूदा स्थिति को समझना मुश्किल है तो इसका एक आसान तरीका है। आप देखिए कि शेयर मार्केट के बड़े धुरंधर कितनी नकदी जमा कर रहे हैं। जापान के येन कैरी ट्रेड को समाप्त करने, अमेरिका में मंदी की आशंका और मिडिल ईस्ट में बढ़ते तनाव जैसी कई बुरी खबरों से पहले के दुनियाभर के शेयर बाजारों में उथल-पुथल मच गई थी। इस दौरान जून तिमाही में दिग्गज इनवेस्टर वॉरेन बफे के पास कैश बढ़कर लगभग 277 बिलियन डॉलर हो गया था।

लगातार सातवें महीने बफे की नकदी में बढ़ोतरी हुई। यह इस बात का संकेत है कि उन्हें अच्छी कीमतों पर अच्छे शेयर चुनने में मुश्किल हो रही है। भारत में सभी इक्विटी-आधारित म्यूचुअल फंड की कुल नकदी होल्डिंग जून में 1.52 लाख करोड़ रुपये थी जो उनके कुल एसेट अंडर मैनेजमेंट का 4.59% थी। देश के सबसे बड़े फंड हाउस एसबीआई म्यूचुअल फंड ने जून में सबसे अधिक 26,902 करोड़ रुपये का कैश अलॉकेशन था। आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल और एचडीएफसी एएमसी जैसी अन्य कंपनियां भी कम से कम 20,000 करोड़ रुपये की नकदी के साथ बैठी हुई थीं। यह एक तरफ जहां बियरिश आउटलुक का संकेत दे रहा था, वहीं बड़ी गिरावट पर खरीदारी का इशारा था।

क्यों करें निवेशक

आनंद राठी के सीनियर वाइस प्रेजिडेंट (इनेवेस्टमेंट सर्विसेज) पीयूष नागदा ने कहा कि घरेलू एएमसी के पास भारी मात्रा में नकदी है, जो जल्द ही भारतीय बाजारों को स्थिर कर देगी। इनवेस्टर यदि व्यक्तिगत शेयरों पर ध्यान केंद्रित नहीं कर सकते हैं, तो वे म्यूचुअल फंड के जरिए निवेश कर सकते हैं। हालांकि, जो लोग गिरावट पर खरीदारी करना चाहते हैं, उन्हें चरणबद्ध तरीके से करना चाहिए क्योंकि हो सकता है कि यह गिरावट की शुरुआत हो। मल्टी आर्क वेल्थ के सिद्धार्थ आलोक ने कहा कि निवेशकों को अपने ओवरऑल एसेट अलॉकेशन पर नजर रखनी चाहिए। अगर वे तीन साल से अधिक समय तक निवेश करना चाहते हैं तो इन गिरावट पर खरीदारी करनी चाहिए।ट्रस्ट एमएफ के सीईओ संदीप बागला ने कहा कि हमें यह समझना चाहिए कि पिछले कुछ वर्षों में बाजार के प्रदर्शन की गति अनरियल रही है और आगे भी इसके बरकरार रहने की संभावना नहीं है। किसी को तभी निवेश करना चाहिए जब उसके पास फौरी उतार-चढ़ाव से निपटने के लिए लॉन्ग टर्म इनवेस्टमेंट की योजना हो। लंबी अवधि तक निवेश बनाए रखने की क्षमता रखने वाले निवेशकों को सुधार के अगले कुछ हफ्तों में व्यवस्थित तरीके से उन क्षेत्रों में निवेश करना चाहिए, जहां वैल्यूएशन अधिक नहीं है।
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