नई दिल्ली: प्रीमियम ट्रेनों की बात करें तो देश में पहले राजधानी और शताब्दी एक्सप्रेस का नाम आता था। नरेंद्र मोदी सरकार ने सेमी हाई-स्पीड स्ट्रेन के रूप में वंदे भारत के ऑपरेशन की शुरुआत की। अभी तक वंदे भारत या तो 16 डिब्बे की होती थी या फिर आठ डिब्बे की। लेकिन अब रेल मंत्रालय ने 24 डिब्बे वाली वंदे भारत बनवाने का फैसला किया है। जी हां, यदि ऐसी ट्रेन बनी तो यह प्रीमियम ट्रेनों में सबसे लंबी ट्रेन बन जाएगी। अभी तक इस श्रेणी में सबसे लंबी ट्रेन राजधानी एक्सप्रेस है। इस ट्रेन में अधिकतम 22 डिब्बे जोड़े जाते हैंक्या है रेलवे का लेटेस्ट फैसला
भारतीय रेल ने अपने 35,000 करोड़ रुपये की वंदे भारत सेमी-हाई स्पीड ट्रेन टेंडर को संशोधित किया है। रेलवे ने पहले 120 ट्रेन सेट के सप्लाई का आर्डर दिया था। इन हर ट्रेन सेट में 16 डिब्बे होने थे। अब जो नई योजना तैयार की गई है, उसमें सप्लायर को 80 ट्रेन सेट की सप्लाई करनी है। इन हर ट्रेन सेट में 24 कोच या डिब्बे होंगे। इन ट्रेन में पेंट्री कार (Pantry Car) भी होंगे।
कितनी होगी ट्रेन की कीमत
अनुमान है कि 24 डिब्बे के हर ट्रेन सेट की कीमत लगभग 120 करोड़ रुपये होंगे। इसका निर्माण महाराष्ट्र के लातूर में होगा। वहां रेल मंत्रालय की कंपनी रेल विकास निगम लिमिटेड (RVNL) और रूसी कंपनियों के कंसोर्टियम का एक संयुक्त उपक्रम लग रहा है। उम्मीद है कि इसी साल नवंबर तक यह मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट बन कर तैयार हो जाएगा।
पहला प्रोटोटाइप ट्रेन अगले साल
उम्मीद है कि महाराष्ट्र के लातूर में विनिर्माण सुविधा को इस साल नवंबर तक रेल विकास निगम लिमिटेड (RVNL) और एक रूसी संघ के बीच एक संयुक्त उद्यम को सौंप दिया जाएगा। इसके बाद वहां 24 डिब्बे वाले वंदे भारत ट्रेन सेट का बनना शुरू होगा। उम्मीद है कि इस ट्रेन का पहला प्रोटोटाइप सितंबर 2025 तक आ जाएगा।
कौन बनाएंगे यह ट्रेन
इस ट्रेन को बनाने में पहला पार्टनर तो रेल मंत्रालय की कंपनी आरवीएनएल है। इसके साथ रूसी इंजीनियरिंग कंपनी मेट्रोवागोनमैश (Metrowagonmash) और लोकोमोटिव इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम (Locomotive Electronic Systems) शामिल हैं। यही तीनों कंपनियां मिल कर महाराष्ट्र के लातूर में ट्रेनों का प्रोडक्शन करेंगे।
क्या था मूल कांट्रेक्ट
वंदे भारत के मूल कांट्रेक्ट में 200 स्लीपर वेरिएंट वंदे भारत ट्रेन सेट का प्रोडक्शन शामिल था। इन ट्रेनों में से प्रत्येक में 16 कोच होने थे। साथ ही, इन ट्रेनों के 35 साल की रखरखाव योजना भी थी। इस कांट्रेक्ट के L1 बोलीदाता को लातूर में मराठवाड़ा रेल कोच फैक्ट्री (MRCF) में 120 ट्रेन सेट का उत्पादन करना था, जबकि L2 बोलीदाता चेन्नई में ICF में 80 ट्रेन सेट के लिए जिम्मेदार था। अब रेल मंत्रालय द्वारा वर्क ऑफ स्कोप में हाल ही में किए गए बदलाव के तहत अब 24 कोचों वाले 80 ट्रेन सेटों के उत्पादन की आवश्यकता है।
कब होगा नार्मल प्रोडक्शन
24 कोच वाले वंदे भारत ट्रेन सेट के प्रोटोटाइप आने के बाद उसका परीक्षण होगा। यह यदि परीक्षण में सफल रहता है तो उसके एक साल बाद 12 वंदे भारत ट्रेनों के पहले बैच के बनने की उम्मीद है। इसके बाद दूसरे वर्ष में 18 ट्रेन सेट की डिलीवरी होगी। फिर तीसरे साल 25 ट्रेन सेटों के बैचों की डिलीवरी होगी। इस वंदे भारत ट्रेन सेट के मेंटनेंस के लिए जोधपुर, दिल्ली और बेंगलुरु में मेंटनेंस फेसिलिटी डेवलप की जा रही है।