ग्लोबल वार्मिंग के संकट के बीच जहां दुनियाभर के ग्लेशियर सिकुड़ रहे हैं, वहीं उत्तराखंड में हिमालय के एक ग्लेशियर का आकार सालाना 163 मी. की दर से बढ़ रहा है। यह असामान्य घटना है। वैज्ञानिक हैरान हैं और इसकी वजह पता करने के लिए नई रिसर्च शुरू की गई है।
यह ग्लेशियर चमोली जिले में नीति दर्रे के समीप उच्च हिमालय क्षेत्र के धौली गंगा बेसिन में अविगामी पर्वत के ठीक नीचे है। वाडिया हिमालय भू विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिक 2019 से इस पर नजर रख रहे थे। अब इसका पहला शोध पत्र जारी हुआ है।
इसके मुताबिक 2001 में यह 7 मीटर/वर्ष की दर से बढ़ रहा था। अब यह गति 163 मीटर/वर्ष तक पहुंच गई। अभी इसका कुल आकार 48 वर्ग किमी है, जो 2019 में 39 वर्ग किमी तक था। ये एक ही दिशा में तिब्बत की ओर बढ़ रहा है, लेकिन अपनी दिशा 27 मीटर प्रति दिन की दर से बदल भी रहा है।
भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के मुताबिक हिमालय रीजन में 9,527 ग्लेशियर हैं। इनमें उत्तराखंड में करीब 3600 हैं। सैटेलाइट डेटा बताता है कि इन सभी में अविगामी पर्वत वाला ग्लेशियर ही बढ़ रहा है। बाकी सब सिकुड़ रहे हैं।
यह शोध संस्थान के वरिष्ठ भूगर्भ वैज्ञानिक डॉ. मनीष मेहता और उनकी टीम ने किया है। मेहता ने बताया कि ग्लेशियर का साइज ऐसे ही बढ़ा तो हिमालय क्षेत्र में बड़ी आपदा आ सकती है। ऐसे ग्लेशियर अमूमन अलास्का में देखे जाते हैं। लेकिन, हिमालय में ऐसा पहली बार हो रहा है। रिसर्च टीम में डॉ. विनीत कुमार, डॉ. अजय राणा, डॉ. गौतम रावत भी थे।