रायपुर। बंगलुरू से आए विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ. अरूण एस. शा तथा डॉ. प्रयाग एच.एस. की निगरानी में वाईल्ड लाईफ एक्सपर्ट चिकित्सकों की टीम अस्वस्थ हाथी के इलाज में बीते छह दिनों से जुटीं हुई है। अस्वस्थता की वजह से ठीक ढंग से खाने-पीने में असमर्थ हाथी का इलाज फ्लूईड थैरेपी और सप्लीमेंट थैरेपी के माध्यम से किया जा रहा है। इससे पहले हाथी को दवाएं देकर डी-वॉर्मिंग किया गया। हाथी फिलहाल शारीरिक कमजोरी की वजह से उठने-बैठने में असमर्थ है। चिकित्सकों की टीम हाथी के स्वास्थ्य पर निरंतर निगरानी रखे हुए है। बारिश को देखते हुए हाथी शरीर के तापमान को सामान्य बनाए रखने के लिए भी आवश्यक उपाय किए गए है। यह अर्धवयस्क हाथी बीते 14 जून को अस्वस्थता की स्थिति में कथराडेरा गांव के कृषक ध्वजाराम के बाड़े में पेट के बल लेटा मिला था। तब से लेकर आज पर्यन्त तक वन विभाग अधिकारियों की मौजूदगी में चिकित्सकों की टीम हाथी के इलाज में जुटीं है। कथराडेरा कोरबा शहर से 60 किलोमीटर दूर कुदमुरा परिक्षेत्र के गुरमा बीट के अंतर्गत आता है।
अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) अरूण पाण्डेय ने बताया कि इस बीमार हाथी के बारे में सूचना मिलते ही स्थानीय वन विभाग के अधिकारियों द्वारा पशु चिकित्सकों बुलाया गया और अस्वस्थ हाथी के उपचार के लिए आवश्यक दवाइयां दी गयी। रायपुर, बिलासपुर, रायगढ़ से वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट, डॉक्टर और बिलासपुर सीसीएफ अनिल सोनी भी कठराडेरा पहुंचे और हाथी के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली। तीव्र ज्वर से पीड़ित हाथी का उपचार की जाने के बाद ज्वर उतरा और अगले दिन तापमान सामान्य रहा। हाथी को फ्लूइड थेरेपी दी गयी। हाथी को पुनः खड़ा करने का प्रयास किया गया परंतु वह फिर भी खड़े होने में असफल रहा। अगले दिन हाथी के गोबर और ब्लड सैंपल जांच के लिए बिलासपुर भेजा गया। जांच में उसके गोबर में भारी मात्रा में राउंड वर्म्स पाए गए। गोबर में राउंड वर्म्स के अण्डे भी पाए गए। जिसके बाद डी-वॉर्मिंग की दवाएं दी गई। दो दिन बाद हाथी के गोबर में वर्म्स मरे हुए निकले। हाथी शरीर के अनुपात में बहुत ही कम भोजन कर रहा है। भोजन की कमी को दूर करने फ्लूइड थेरेपी और सप्पलीमेंट थेरपी दी जा रही है और एन्टीबायोटिक थैरेपी दी जा रही है।
वन मंडलाधिकारी गुरूनाथन ने बताया कि पिछले चार दिनों से हो रही लगातार भारी बारिश के कारण हाथी के शरीर में काफी उतार चढ़ाव हो रहा है। 19 जून को दिन भर भारी बारिश के कारण एक समय हाथी का तापमान 94 डिग्री पहुंच गया था। उसके तुरंत बाद उपचार दिया गया। गर्मी के लिए अलाव जलाये गए और धान पैरा से शरीर की मॉलिश की गयी और पैरा का कम्बल बना कर ओढ़ाया गया, जिससे 20 जून को सुबह हाथी के शरीर का तापमान सामान्य हो गया। फ्लूइड और सप्लीमेंट थेरपी में निर्भर होने के कारण शरीर भी प्रभावित होने लगा है। इस उम्र के हाथी के लिए एक दिन में औसत 100 लीटर पानी की आवश्यकता हैं और 60 किलोग्राम भोजन करता है। चिकित्सक पाईप के माध्यम से हाथी को पानी पिला रहे है और साथ ही रेक्टम के द्वारा भी हाथी के शरीर में पानी पहुंचाया जा रहा है।