आमतौर पर कई लोगों को सोते समय पैरों में कंपन, खिंचाव और दर्द की शिकायत रहती हैं। अगर आप के साथ भी ऐसा है तो इसकी अनदेखी न कर डॉक्टर से संपर्क करें। यह एक न्यूरोलॉजिकल बीमारी के संकेत हो सकते है। ऐसे में समय रहते अगर आप इसका इलाज नहीं करवाएंगे तो यह परेशानी पार्किंसंस में बदल सकती है। इसलिए जरूरी है कि वक्त रहते इसके लक्षणों की पहचान कर इसका उपचार बेहद जरूरी है।
जब हम सामान्य अवस्था में होते हैं तो हमारे पैरों की मांसपेशियों और जोड़ों को सक्रिय बनाए रखने के लिए हमारा दिमाग न्यूरोट्रांस्मीटर्स के जरिए विद्युत तरंगों का प्रवाह करता है। इसी तरह जब हम बैठते या लेटते हैं तो यह प्रवाह रुक जाता है, लेकिन जब ब्रेन से विद्युत तरंगे लगातार प्रवाहित होती रहती हैं तो पैरों में कंपन होने लगती है।
पैंरों में कंपन इसलिए होने लगती है क्योकि ब्रेन से निकलने वाला हॉर्मोन डोपामाइन इन तरंगों के प्रवाह को कंट्रोल करता है और इसकी कमी से इन तरंगों का प्रवाह होता ठीक वैसे होता रहता है जैसे जह आप किसी नल को ठीक से बंद नहीं करते और उससे लगातार बूंद बूंद पानी टपकता रहता है।
लक्षण-
वैसे तो यह परेशानी बेहद आम है, लेकिन अमूमन लोगों में चालीस वर्ष की आयु के बाद इसके लक्षण नजर आते हैं। जिस तरह अर्थराइटस में लोगों को पैरों में दर्द की शिकायत होती है, रेस्टलेस लेग सिंड्रोम होने पर दर्द के साथ कंपन, झनझनाहट और बेचैनी महसूस होती है। इसमें लोगों की नींद भी बाधित होती है।
रेस्टलेस लेग सिंड्रोम में व्यक्ति को ऐसा लगता है कि उसके पैरों के भीतर कुछ रेंग रहा है। इसके बाद पैरों को हिलाने पर थोड़ा आराम महसूस होता है। इसलिए ऐसे मरीज अनजाने में ही अपने पैर हिला रहे होते हैं। ऐसे में सोना या बैठने का आप सोच भी नहीं सकते, क्योंकि इससे तकलीफ और ज्यादा बढ़ जाती है। वहीं ऐसे में अगर आप उठकर थोड़ा चलेंगे तो आपको राहत महसूस होगी।
बचाव
अपनी डाइट में हरी पत्तेदार सब्जि़यों, अंडा, चिकन और दूध के उत्पाद शामिल करें।
शराब और सिगरेट से कोसों दूर रहें, क्योंकि इनके सेवन से डोपामाइन की कमी हो जाती है।
इसके लक्षण दिखाई दे तो बिना देरी करें डॉक्टर को दिखाएं।
डोपामाइन हॉर्मोन का स्तर बढ़ाने वाली दवाओं के नियमित सेवन से यह बीमारी दूर हो जाती है