इस कंपनी को 24 साल में पहली बार हुआ घाटा, एक साल पहले कमाया था 13.1 अरब डॉलर का मुनाफा

Updated on 04-05-2024 05:48 PM
नई दिल्ली: रूस की सरकारी गैस कंपनी गैजप्रॉम (Gazprom) को पिछले साल यानी 2023 में 6.9 अरब डॉलर का जबर्दस्त घाटा हुआ। देश की सबसे पावरफुल सरकारी कंपनियों में से एक गैजप्रॉम को 24 साल में पहली बार घाटे का सामना करना पड़ा है। यूक्रेन पर रूस के हमले के कारण यूरोप को गैस की बिक्री प्रभावित हुई है। इस कारण कंपनी का घाटा हुआ है। 2022 में कंपनी को 13.1 अरब डॉलर का नेट प्रॉफिट हुआ था। कंपनी को इससे पहले साल 1999 में घाटा हुआ था। राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के करीबी एलेक्सी मिलर ने साल 2001 में इस कंपनी की कमान संभाली थी। इसका मुख्यालय सेंट पीटर्सबर्ग में है।

रूस से गैस एक्सपोर्ट में कभी यूरोप सबसे बड़ा मार्केट हुआ करता था लेकिन यूक्रेन युद्ध के कारण यह बुरी तरह प्रभावित हुआ है। पश्चिमी देशों ने रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए हैं। इससे गैजप्रॉम के बिजनस पर भी काफी असर हुआ है। रॉयटर्स के मुताबिक पिछले साल यूरोप को गैजप्रॉम की नेचुरल गैस सप्लाई 55.6 फीसदी गिरकर 28.3 बिलियन क्यूबिक मीटर रह गई। हालांकि गैजप्रॉम ने 2023 की शुरुआत से अपने एक्सपोर्ट के आंकड़े पब्लिश नहीं किए हैं। रॉयटर्स की कैलकुलेशन के हिसाब से 2023 में कंपनी का एबिटा गिरकर 6.7 अरब डॉलर रह गया जो 2022 में 30.4 अरब डॉलर था। जानकारों का कहना है कि गैजप्रॉम के लिए यह पिछले 22 साल में सबसे खराब एबिटा है।

भारत को कच्चे तेल का एक्सपोर्ट

पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के कारण रूस अपना कच्चा तेल भारत और चीन जैसे देशों को बेच रहा है। भारत को रूस से कच्चे तेल का निर्यात अप्रैल में रेकॉर्ड स्तर के करीब पहुंच गया। इस दौरान भारत के कुल आयात में रूस की हिस्सेदारी लगभग 40% रही जो मार्च में 30% थी। पिछले साल जुलाई में यह 42% के ऑल-टाइम हाई पर थी। वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की ऊंची कीमतों के कारण भारतीय रिफाइनरों ने रूस से सस्ती कीमत पर ज्यादा तेल खरीदा। एनर्जी कार्गो ट्रैकर Vortexa के मुताबिक भारतीय रिफाइनरी कंपनियों ने अप्रैल में रूस से रोजाना 1.78 मिलियन बैरल कच्चे तेल आयात किया, जो मार्च से 19% अधिक है। अप्रैल में चीन ने रूस से समुद्र के रास्ते रोजाना 1.27 मिलियन बैरल और यूरोप ने 396,000 बैरल तेल मंगाया। अप्रैल में रूस भारत के लिए तेल का सबसे बड़ा सप्लायर रहा। इसके बाद इराक, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात का नंबर रहा। लेकिन भारत का रूस से आयात इन तीनों की कंबाइंड सप्लाई से ज्यादा रहा।
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