नई दिल्ली । कोरोना महामारी से मुकाबले के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘जान भी जहान भी’ पर अमल करते हुए पर्यटन उद्योग फिर से खड़ा होने का खाका तैयार करने में जुट गया है। ताकि, लॉकडाउन खत्म होने के बाद पर्यटकों को कोरोना संक्रमण से बचाव के तमाम उपायों के साथ घूमने-फिरने की सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सकें।
पर्यटन मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि ‘जान भी जहान भी’ को ध्यान में रखते हुए रणनीति का खाका तैयार कर रहे हैं। हमारी कोशिश है कि लोगों के मन से कोरोना का डर हटाकर उन्हें पूरी आजादी के साथ घूमने फिरने का मौका दिया जाए। इसलिए फिलहाल गोवा और पूर्वोत्तर राज्यों पर ध्यान अधिक रहेगा। देश से हर साल दो करोड़ से अधिक लोग छुट्टियां मनाने के लिए विदेश जाते हैं। पिछले 10 साल में यह संख्या 3 गुना बढ़ी है। सरकार की नजर इन पर्यटकों पर है।
पर्यटन मंत्रालय की कोशिश है कि इन पर्यटकों को देश के अंदर बेहतर सुविधाए मुहैया कराई जाएं, तो वे फिलहाल विदेश के बजाए देश में घूमना ज्यादा पसंद करेंगे। गोवा और पूर्वोत्तर के कई राज्यों में कोरोना संक्रमण लगभग खत्म हो चुका है। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के बाद सरकार हवाई यात्रा शुरू करती है, तो हम इन प्रदेशों के लिए अधिक फ्लाइट की मांग करेंगे ताकि लोग इन प्रदेशों में जाकर अपनी छुट्टियां बिता सकें। हालांकि, इसके साथ एहतियाती उपायों से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।कोरोना महामारी का सबसे ज्यादा असर पर्यटन उद्योग पर पड़ा है। उद्योग आर्थिक संकट से जूझ रहा है।
संयुक्त राष्ट्र के विश्व पर्यटन संगठन (यूएनडब्ल्यूटीओ) का कहना है कि कोविड-19 महामारी के कारण 2020 में अंतरराष्ट्रीय पर्यटन में 60-80 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है। इसके चलते 910 अरब डॉलर से लेकर 1200 अरब डॉलर तक की कमाई का नुकसान होगा और लाखों लोगों की आजीविका संकट में पड़ जाएगी। महामारी के चलते 2020 की पहली तिमाही के दौरान अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों की आवक में 22 प्रतिशत की गिरावट हुई है। यूएनडब्ल्यूटीओ के महासचिव जुरब पोलोलिकाशविली ने कहा, दुनिया एक अभूतपूर्व स्वास्थ्य और आर्थिक संकट का सामना कर रही है। पर्यटन सबसे अधिक प्रभावित हुआ है और अर्थव्यवस्था के सबसे अधिक श्रम-आधारित इस क्षेत्र में लाखों नौकरियां खतरे में हैं। यूएनडब्ल्यूटीओ विश्व पर्यटन सूचकांक के अनुसार इस साल पहले तीन महीनों के दौरान पर्यटकों की आवक में 22 प्रतिशत की कमी हुई है। यह गिरावट एशिया और प्रशांत क्षेत्र में अधिक रही है।