नई दिल्ली। कई तरह की गंभीर गड़बड़ियों वाले कथित खुलासे वाली एक रिपोर्ट के बाद अब ई-कॉमर्स कंपनी एमेजॉन पर भारत में बैन लगाने की मांग की जा रही है। खुदरा व्यापारियों के संगठन कन्फडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने एमेजॉन के भारतीय कारोबार पर रोक लगाने की मांग की है। गौरतलब है कि एक खास रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ था कि एमेजॉन कई साल से अपने भारतीय प्लेटफॉर्म पर कुछ खास विक्रेताओं को तरजीह देती है और उनका इस्तेमाल भारत के सख्त विदेशी निवेश मानकों से बचने के लिए कर रही है।
रिपोर्ट में एमेजॉन पर कई गंभीर आरोप है। ऐजंसी ने साल 2012 से 2019 के बीच जारी एमेजॉन के आंतरिक दस्तावेजों को हासिल कर यह बताया है कि सरकार ने जब भी छोटे कारोबारियों के हितों की रक्षा के लिए नए अंकुश लगाए, एमेजॉन ने अपने कॉरपोरेट ढांचे में बदलाव कर लिया। इसके अनुसार साल 2019 में एमेजॉन की भारत में होने वाली बिक्री में 35 फीसदी हिस्सा सिर्फ दो विक्रेताओं का था। इन कंपनियों में एमेजॉन की सीधी हिस्सेदारी है।' इसके मुताबिक एमेजॉन के 4 लाख विक्रेताओं में से सिर्फ 35 सेलर्स की इसकी कुल ऑनलाइन बिक्री में करीब दो-तिहाई हिस्सेदारी है। नियमों के मुताबिक एमेजॉन बिक्री करने वाली कंपनी में खुद हिस्सेदारी नहीं ले सकती और इस तरह से कुछ कंपनियों या विक्रेताओं की मोनोपॉली भी नहीं रखी जा सकती। करीब 8 करोड़ खुदरा दुकानदारों से जुड़े होने का दावा करने वाली कैट ने एक बयान में कहा, ऐजेंसी के खुलासे काफी स्तब्ध करने वाले हैं और यह इस बात के लिए काफी हैं कि भारत में एमेजॉन के कारोबार पर तत्काल रोक लगाई जाए।' कैट ने वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल से मांग की है कि इस महत्वपूर्ण मसले पर तत्काल कार्रवाई हो और एमेजॉन के भारतीय कारोबार को रोका जाए। एमेजॉन ने रिपोर्ट को तथ्यात्मक रूप से गलत बताया है। एमेजॉन ने कहा कि यह रिपोर्ट 'निराधार, अपूर्ण तथा तथ्यात्मक रूप से अशुद्ध है। एमेजॉन भारतीय कानूनों का अनुपालन करती है।' गौरतलब है कि फॉरेस्टर रिसर्च के अनुसार, एमेजॉन की साल 2019 में भारत में बिक्री करीब 73,000 करोड़ रुपये की थी