लंदन । वैज्ञानिकों को अब बृहस्पति ग्रह पर जीवन की संभावनाएं नजर आ रही है। वैज्ञानिकों को बृहस्पति ग्रह के ठंडे और बर्फीले चांद यूरोपा पर एक बगीचा दिखा है।वैज्ञानिक इस बात की खोज में लग गए हैं कि आखिर यूरोपा की बर्फीली ज़मीन पर झाड़ियां और घास जैसी आकृतियां कैसे दिख रही हैं?
नासा का कहना है कि अंतरिक्ष के कचरों के टकराने की वजह से ये गड्ढे यूरोपा पर दिख रहे हैं। गड्ढों के साथ ही यहां घाटियां, दरारें और ऊबड़-खाबड़ पहाड़ी आकृतियां भी दिख रही हैं। इनमें से कुछ आकृतियां काफी गहरे रंग की भी हैं, जिन्हें घास और झाड़ियां माना जा रहा है।इस जगह पर रेडिएशन का स्तर पर काफी ज्यादा है। नासा की स्टडी कहती है कि यूरोपा पर दिखने वाले इम्पैक्ट क्रेटर अंतरिक्ष के कचरे के टकराने की वजह से बने हैं। यहां की परिस्थिति पर यूरोपा क्लिपर मिशन के तहत निगरानी रखी जा रही है। यूरोपा के ऊपर जो बर्फ की मोटी और कड़ी परत है, उसके नीचे एक खारा सागर भी है, जहां जीवन की संभावना सबसे ज्यादा मानी जाती है। जब ये पानी बर्फ की ऊपरी परत से बाहर निकल सकेगा, तो यूरोपा पर जीवन की उत्पत्ति भी हो पाएगी।यूनिवर्सिटी ऑफ हवाई की प्लैनेटरी रिसर्च साइंटिस्ट एमिली कॉस्टेलो ने कहा कि अगर हमें केमिकल बायोसिग्नेचर मिलते हैं तो हम यह दावा कर सकते हैं कि इम्पैक्ट गार्डेनिंग हो रही है।
यूरोपा क्लिपर मिशन को नासा सिर्फ एस्ट्रोबायोलॉजिकल अध्ययन के लिए ही भेज रहा है। इसका मकसद जीवन की संभावनाओं की खोज करना है। एक रिपोर्ट में बताया गया है कि यूरोपा की सतह पर 12 इंच के गड्ढे हैं। इन गड्ढों की संख्या करोड़ों में है। फिलहाल यूरोपा पर विनाशकारी रेडिएशन की वजह से यहां केमिकल बायोसिग्नेचर जीवन के रूप में पनप नहीं पा रहे हैं। जैसे-जैसे रेडिएशन कम होगा, वैसे ही जीवन की उत्पत्ति की संभावना बढ़ जाएगी।