नई दिल्ली: अमेरिका में ताजा आंकड़ों के मुताबिक देश की इकॉनमी सुस्त पड़ रही है। इसे देखते हुए फेड रिजर्व अगले हफ्ते होने वाली पॉलिसी मीटिंग में ब्याज दरों में 25 बेसिस पॉइंट्स की कमी कर सकता है। अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी इकॉनमी है और वहां मंदी से पूरी दुनिया पर असर हो सकता है। आंकड़ों के मुताबिक अमेरिका में पिछले तीन महीनों में 37 फीसदी छोटी कंपनियों की कमाई में गिरावट आई है। यह 2010 के बाद सबसे ज्यादा है। साल 2020 में कोरोना काल में भी ऐसा नहीं हुआ था। तब 35 फीसदी छोटी कंपनियों की कमाई में तिमाही गिरावट आई है।
लेबर और मटीरियल की बढ़ती लागत और बिक्री में गिरावट से कंपनियों की कमाई पर असर पड़ा है। हाल में छोटी कंपनियों की बिक्री संभावना गिरकर चार साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई। अमेरिका में छोटी कंपनियों को इस तरह संघर्ष करना पड़ रहा है जैसे कि देश की इकॉनमी मंदी से गुजर रही है। अमेरिका में 3.3 करोड़ छोटी कंपनियां हैं और देश की इकॉनमी में इनकी 44% हिस्सेदारी है। इन कंपनियों में 6.17 करोड़ लोग काम करते हैं जो प्राइवेट सेक्टर का कुल 46.4 फीसदी है।
452 कंपनियों का निकला दिवाला
अमेरिका में साल के पहले आठ महीनों में ही देश में 452 बड़ी कंपनियों का दिवाला निकल चुका है। यह पिछले 14 साल में दूसरा सबसे बड़ा नंबर है। साल 2020 में जब कोरोना महामारी ने दस्तक दी थी तो लॉकडाउन के कारण साल के पहले आठ महीने यानी अगस्त तक 466 कंपनियां दिवालिया हुई थीं। इस साल अगस्त में 63 कंपनियां दिवालिया हो गई जबकि जुलाई में 49 कंपनियों का दिवाला निकला था। अमेरिकन इंडस्ट्री के लिए अगस्त पिछले चार साल में चौथा सबसे खराब महीना रहा।