अभी सीमित हैं विकल्प
इलेक्ट्रिक गाड़ियों की एक कंपनी की चीफ बिजनेस ऑफिसर रवनीत फोकेला के अनुसार, पट्रोल या डीजल से चलने वाले कोई गाड़ी खरीदते वक्त हमारे पास 40-50 विकल्प होते हैं, लेकिन इलेक्ट्रिक गाड़ियों में अब भी काफी सीमित विकल्प हैं। फिलहाल कोई रीसेल मार्केट भी नहीं है। हमें होड़ में बने रहने के लिए बेहतर 'बाई बैक पॉलिसी' की जरूरत है।
बैटरी को लेकर सवाल
इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बैटरी को लेकर पर्यावरण से जुड़ी चिंताएं भी हैं। CSE की अनुमिता रायचौधरी ने बताया कि ज्यादातार कार कंपनियां बैटरी की आठ साल की गारंटी दे रही हैं। बैटरी के लिए पॉलिसी भी बन चुकी है। कारों की बैटरी की रिसेल वैल्यू होने की वजह से इनके निस्तारण में जोखिम की संभावना कम है। बैटरी की कीमत 4 से 8 लाख रुपये तक हो सकती है। पुरानी बैटरी देने पर नई बैटरी में पुरानी बैटरी की कंडिशन के हिसाब से छूट मिलती है। यही वजह है कि गाड़ियों की बैटरी निस्तारण में अधिक समस्या नहीं आती। फिर भी चार से पांच साल बाद सही स्थिति पता चलेगी, जब इन गाड़ियों की बैटरी लाइफ खत्म होने लगेगी।