वाशिंगटन । जानलेवा कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद बच्चों में इसका असर लंबे समय तक रह सकता है। इसका खुलासा हुआ है ताजा अध्ययन में। अध्ययन दर्शाते हैं कि बच्चों में वयस्कों की तुलना में उन लक्षणों से प्रभावित होने की आशंका कम होती है, जो संक्रमण के एक महीने या उससे अधिक समय तक बने रहते हैं, फिर से नजर आते हैं या दोबारा शुरू हो जाते हैं।
बच्चों में ‘लंबे कोविड-19’ के रूप में लक्षण अक्सर कितनी बार देखने को मिलते हैं, इसे लेकर अनुमान अलग-अलग हैं। ब्रिटेन के एक अध्ययन में पाया गया कि लगभग चार प्रतिशत छोटे बच्चों और किशोरों में संक्रमित होने के एक महीने से अधिक समय बाद तक लक्षण देखे गए। थकान, सिरदर्द और सूंघने की शक्ति का चला जाना सबसे आम शिकायतों में शामिल हैं और अधिकतर लक्षण दो महीने बाद समाप्त हो गए।खांसी, सीने में दर्द और ब्रेन फॉग (स्मरण शक्ति क्षीण हो जाना या ध्यान केंद्रित न कर पाना) अन्य दीर्घकालिक लक्षणों में से हैं, जो कभी-कभी बच्चों में भी पाए जाते हैं, और हल्के संक्रमण या कोई प्रारंभिक लक्षण नहीं होने के बाद भी हो सकते हैं।
कुछ अनुमानों के अनुसार, लगभग 30 प्रतिशत वयस्क कोविड-19 रोगियों में दीर्घकालिक लक्षण विकसित होते हैं। विशेषज्ञ निश्चित नहीं हैं कि दीर्घकालिक लक्षणों के कारण क्या हो सकते हैं। कुछ मामलों में, यह प्रारंभिक संक्रमण के कारण अंगों को होने वाले नुकसान को दिखा सकता है या यह शरीर में मौजूद वायरस और सूजन का परिणाम हो सकता है।कुछ अध्ययनों में ब्रिटेन के अध्ययन की तुलना में बने रहने वाले लक्षणों की उच्च दर पाई गई है, लेकिन बच्चों को वयस्कों की तुलना में कम प्रभावित माना जाता है।