लद्दाख में 1962 जैसी सैन्य हलचल, विमानों ने भरी उड़ान
श्रीनगर। चीन से लहे पूर्वी लद्दाख के सीमावर्ती गांवों में रहने वाले करीब 2,000 लोग इलाके में जारी भारी सैन्य मूवमेंट से चिंतित हैं। स्थानीय लोगों का दावा है कि 1962 के बाद पहली बार अपनी तरफ से इतने बड़े पैमाने पर सैन्य मूवमेंट दिखाई दे रहा है। लद्दाख ऑटोनोमस काउंसिल के एक मेंबर के मुताबिक गांव वाले सैनिकों और हथियारों के मूवमेंट से खौफ में हैं। चुशुल के नजदीक 3 पंचायत हलकों के 8 गावों में लोगों को डर है कि इलाके को किसी भी वक्त हिंसा अपनी आगोश में ले सकती है। चुशुल के काउंसिलर कोन्चोक स्टैन्जिन ने बताया, हम अपनी तरफ से असामान्य सैन्य हलचल और तोपों-हथियारों का मुवमेंट देख रहे हैं। हमारे बुजुर्गों ने इससे पहले 1962 में चीन के साथ जंग के वक्त इस तरह की हलचल देखी थी। हम चाहते हैं कि चीजें जल्द से जल्द ठीक हों।
चीनी विमानों ने लद्दाख में भरी उड़ान
नई दिल्ली। सीमा पर जारी तनाव के बीच चीन के लड़ाकू विमानों के वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास पूर्वी लद्दाख से 30-35 किलोमीटर दूर उड़ान भरने को लेकर भारत चौंकन्ना हो गया है। चीनी विमानों ने यह उड़ान अपने सैन्य अड्डे होतान और गारगुंसा से 100-150 किलोमीटर दूर भरी। सूत्रों के मुताबिक चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के सीमावर्ती ठिकानों पर 10 से 12 लड़ाकू विमान मौजूद हैं। वह भारतीय सीमा के करीब उड़ान गतिविधियां करती रहती है। उन्होंने कहा कि हम जे-11 और जे-7 लड़ाकू विमानों की गतिविधियों पर नजर रख रहे हैं। सूत्रों ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय नियमों के मुताबिक चीनी विमान भारतीय क्षेत्र से महज 10 किलोमीटर दूर थे। उल्लेखनीय है कि मई के पहले हफ्ते में जब भारतीय और चीनी हेलीकॉप्टर एक दूसरे के काफी करीब आ गए थे, तब भारत ने सुखोई-30 विमान को भेज दिया था।
भारत के रडार पर है होतान
पाकिस्तान ने जब से चीन की वायुसेना के साथ युद्धाभ्यास किया है, तभी से चीन के होतान सैन्य ठिकाने पर भारत की नजर है। सूत्रों ने कहा कि पिछले साल भी जब पाकिस्तान के कब्जे वाले लद्दाख के पश्चिमी भाग स्कार्दू सैन्य ठिकाने से होतान के लिए पाकिस्तान के छह जेएफ-17 विमान ने उड़ान भरी तो भारत ने निगरानी बढ़ा दी थी।
ड्रैगन बोला, भारत-चीन की सीमा पर हालात स्थिर
चीन ने फिर कहा है कि भारत के साथ सीमा पर हालात स्थिर और नियंत्रण योग्य हैं। दोनों देश निर्विघ्न बातचीत के चैनल और आपसी परामर्श से मसले का हल निकाल लेंगे। वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत और चीनी सेना में लगातार टकराव के बीच चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लीजियान ने यह प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
चीनी सेना ने तैनात किए तोपें और बड़े युद्धक वाहन
भारत और चीन की सेनाएं तोपों और टैंकों समेत भारी हथियारों और युद्धक उपकरणों का पूर्वी लद्दाख के विवादित क्षेत्र के नजदीक स्थित सैन्य अड्डों पर जमावड़ा कर रही हैं। दोनों देशों में पिछले 25 दिनों से जारी तनातनी के बीच जमा किए जा रहे हथियारों से लद्दाख के युद्ध का मैदान बनने की आशंका बढ़ती जा रही है। भारत ने चीनी सेना के भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ को सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर बातचीत करके सुलझाने की कोशिशें भी जारी रखी हैं। लेकिन फिलहाल इसका कोई हल निकलता नहीं दिख रहा है। चीनी सेना ने धीरे-धीरे भारत में पूर्वी लद्दाख के साथ लगी वास्तविक सीमा रेखा के करीब अपने सैन्य अड्डों पर हथियारों का भारी-भरकम जमावड़ा कर लिया है। चीनी सेना ने वहां पर बड़ी तादाद में पैदल सेना को ले जाने वाले युद्धक वाहनों को भी तैनात कर दिया है। चीनी सैन्य जमावड़े का मुकाबला करने के लिए भारतीय सेना ने भी वहां अपनी ताकत और तैनाती यकायक बढ़ा दी है। वह भी पूर्वी लद्दाख में तोपों और सैन्य उपकरणों को भेज रही है। भारत ने भी अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा है कि वह तब तक शांत नहीं बैठेगा जब तक कि पैंगोंग झील, गलवां घाटी और लद्दाख के अन्य क्षेत्रों में पहले वाली स्थिति बहाल नहीं हो जाती है। इस विवादित क्षेत्र में भारतीय वायुसेना बड़ी गहन हवाई गश्त कर रही है।
आज होगी भारत-चीन की मिलिट्री स्तर पर बातचीत
नई दिल्ली। ईस्टर्न लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर तनाव दूर करने के लिए आज भारत-चीन के बीच मिलिट्री स्तर पर फिर बातचीत होगी। सूत्रों के मुताबिक यह हाईएस्ट कमांडर (डिविजन कमांडर) स्तर की मीटिंग होगी। इससे पहले भी हाईएस्ट कमांडर स्तर की दो मीटिंग हो चुकी हैं, लेकिन तब इसमें विवाद का कोई हल नहीं निकल पाया। सूत्रों के मुताबिक एलएसी में तनाव दूर करने के लिए प्रोटोकॉल के मुताबिक लोकल कमांडर, डेलिगेशन लेवल और हाईएस्ट कमांडर स्तर की मीटिंग होती है। पहले मसले को लोकल कमांडर स्तर की मीटिंग में सुलझाने की कोशिश होती है, इसमें बात न बने तो डेलिगेशन लेवल मीटिंग होती है, जिसमें आर्मी के ब्रिगेडियर लेवल के अधिकारी मीटिंग करते हैं। इसके बाद हाईएस्ट कमांडर स्तर पर मीटिंग होती है, जो आर्मी के मेजर जनरल लेवल के अधिकारी के बीच होती है। सूत्रों के मुताबिक दो बार पहले भी इस स्तर की मीटिंग हो चुकी है लेकिन उसमें जो भी तय किया गया वह फिर चीन ने ग्राउंड स्तर पर लागू नहीं किया, जिससे तनाव में कमी नहीं आई।