सभी चाहते हैं कि उनके बच्चे सभी से अच्छा व्यवहार करें पर इसके लिए उन्हें भी अपना व्यवहार बेहतर रखना होगा।
यदि आप चाहते हैं कि आपके बच्चे अच्छा व्यवहार करें, बड़ों का आदर-सम्मान करें, तो इसके लिए आप को भी कई बातों का ध्यान रखना होगा।
घर बच्चों के लिए व्यावहारिक ज्ञान की पाठशाला होती है, जहां बच्चा अपने अभिभावकों के साथ् रहकर अपने भावी जीवन की भूमिका बनाता है। अच्छे खान-पान, रहन-सहन, चरित्र व संस्कारों का बच्चे पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। बच्चे के संपूर्ण जीवन पर मां व घर-परिवार के सदस्यों के संस्कारों का गहरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए यह बेहद ज़रूरी हो जाता है कि बच्चों को शुरुआत से ही रहन-सहन सिखाएं।
अपने बच्चों को ऐसे संस्कार व शिक्षा दें कि वे बड़ों का आदर करें। उन्हें उचित मान-सम्मान दें। उनका अभिवादन करें। उनके प्रति सद्व्यवहार रखें व छोटों के प्रति उन्हें प्यार, त्याग व धैर्यपूर्ण व्यवहार करना सिखाएं।
अपने बच्चों को दिए गए संस्कारों पर भरोसा करें। उनके सुख-दुख में पूरी तरह से उनके साथ रहें। इससे माता-पिता व बच्चों के बीच अटूट भावनात्मक रिश्ता बन जाता है लेकिन साथ ही साथ उन पर नजर भी रखें।
यदि आप चाहते हैं कि आपके बच्चे संस्कारी बनें, तो उनकी बात सुनें, उनका कहना मानें व कोई भी कार्य करने से पूर्व उनकी अनुमति व सलाह लें। इसके लिए आपको स्वयं धैर्य से काम लेना होगा. साथ ही किसी भी काम के लिए बच्चे पर दबाव न डालें. छोटी-छोटी बातों को बेवजह न बढ़ायें।
अनुशासन की भावना डालें: उन्हें समय से उठने-बैठने, कार्य करने, पढ़ने-लिखने, खेलने-कूदने, खाने-पीने के तौर-तरी़के सिखाएं. वे अपना छोटा-मोटा कार्य स्वयं करें व समय पर करें। अनुशासन की शिक्षा उन्हें बचपन से ही दें लेकिन इन सब के साथ उन्हें अपनी तरह से जीने की आज़ादी भी दें।
आत्मनिर्भर बनाएं: यदि वे अपना पूरा होमवर्क करते हैं, समयानुसार सभी कार्य करते हैं, तो उन्हें दोस्तों के साथ खेलने, टीवी देखने का समय दें। उनके रोज़मर्रा के कार्य, जैसे- स्कूल के लिए स्वयं तैयार होना, जूते पॉलिश करना, अपने क़िताबों-कॉपियों पर कवर चढ़ाना, स्कूल जाने से पूर्व व आने के बाद अपनी ड्रेस, बुक्स, बैग को ठीक स्थान पर रखना, अपने कमरे, टेबल को साफ़-सुथरा रखना आदि आदतें उन्हें बचपन से ही सिखाएं। बच्चों को खेल-खेल में बहुत कुछ सिखाया जा सकता है।
उपेक्षा न करें : कभी भी उनके दोस्तों व मेहमानों के सामने उनकी उपेक्षा न करें। वरना वे आक्रामक और ज़िद्दी हो जाएंगे। अपने बच्चों की तुलना अन्य बच्चों से न करें, क्योंकि हर बच्चे का अपना अलग अस्तित्व होता है। बच्चों के दोस्तों से नफ़रत न करें। न ही आप उन पर उन बच्चों से दोस्ती करने का दबाव डालें, जिन्हें आप पसंद करते हैं। उन्हें समझाएं कि उन्हें बड़े भाई-बहन, मम्मी-पापा, दादा-दादी व बड़े-बुज़ुर्गों की इ़ज़्ज़त करना, मान-सम्मान करना चाहिए. इसके लिए ज़रूरी है कि आप भी अपने बड़ों का आदर करें।
अपने बच्चों को समझाएं कि किस व्यक्ति से उनका क्या रिश्ता है। बच्चों को समयानुसार उन लोगों से मिलवाएं व उन रिश्तेदारों के संबंध में जानकारियां दें। इससे वह उन रिश्तों के प्रति आकर्षित होंगे, प्रेम रखेंगे व उनके लिए ज़िंदगी में हर रिश्ते की अलग अहमियत होगी। उन्हें हर रिश्ते की मर्यादाएं सिखाएं व समझाएं।
कभी-कभी बच्चों को अपने साथ शॉपिंग पर, बैंक में व अन्य जगहों पर लेकर जाएं। इससे उन्हें घर व बाहर के कामकाज की सही जानकारी प्राप्त होगी।
घरेलू काम करवाएं, जैसे- बागवानी, परिवार के सदस्यों, रिश्तेदारों से फ़ोन पर बातें करना, रोज़मर्रा की चीज़ें लाना, अपने छोटे भाई-बहनों को स्कूल व ट्यूशन छोड़ना, लाना व उन्हें पार्क आदि में घुमाना, खिलाना ऐसे कई काम हैं, जिन्हें करने में बच्चे बख़ूबी क़ामयाब हो सकेंगे। इससे बच्चे बहुत कुछ आसानी से भी सीख लेंगे।