जिनेवा। अफगानिस्तान में तालिबान की जीत दुनिया के आतंक प्रभावित देशों में अन्य समूहों के हौसले बढ़ा सकती है। यह चिंता संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस जताई है। वैश्विक आतंकवाद पर चिंता जताते हुए चेतावनी दी है कि अफगानिस्तान में तालिबान की जीत दुनिया के विभिन्न हिस्सों में अन्य समूहों को ऐसा करने का बल देंगे। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र चाहता है कि अफगानिस्तान अंतरराष्ट्रीय संबंधों में सकारात्मक भूमिका निभाए, जिसके लिए तालिबान के साथ संवाद बहुत जरूरी है। तालिबान के सदस्यों ने अगस्त महीने में अफगानिस्तान पर अपना नियंत्रण कर लिया और पश्चिमी देशों द्वारा समर्थित पिछली सरकार को सत्ता से बेदखल होने पर मजबूर कर दिया।
गुतारेस ने संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘दुनिया के विभिन्न हिस्सों में हम जो देख रहे हैं, उससे मैं बहुत चिंतित हूं। अफगानिस्तान में तालिबान की जीत दुनिया के विभिन्न हिस्सों में अन्य समूहों के हौसले बुलंद कर सकती है, भले ही वे समूह तालिबान से अलग हैं और मुझे उनमें कोई समानता नजर नहीं आती।’ उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में वह साहेल जैसे परिदृश्यों को लेकर बहुत चिंतित हैं जहां ‘आतंकवाद की चुनौती से निपटने के लिए हमारे पास आज कोई प्रभावी सुरक्षा प्रणाली नहीं हैं’ और इसलिए आतंकवादियों की पकड़ मजबूत हो रही है तथा मौजूदा हालात से उनके हौसले बुलंद होंगे। दुनिया के दूसरे हिस्सों के बारे में भी यह कहा जा सकता है। साहेल अफ्रीका का एक क्षेत्र है।
गुतारेस ने कहा, ‘अगर कोई समूह है, भले ही छोटा समूह है, जिसे कट्टर बनाया गया है और जो हर हालात में मरने को तैयार है, जो मौत को अच्छी बात मानता है, यदि ऐसा समूह किसी देश पर हमले का फैसला करता है तो हम देखते हैं कि सेनाएं भी उनका सामना करने में असमर्थ हो जाती हैं और मैदान छोड़ देती हैं। अफगान सेना सात दिन में गायब हो गयी।’
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने कहा, ‘मैं आतंकवाद को लेकर बहुत चिंतित हूं। मुझे इस बात की बहुत फिक्र है कि कई देश इससे लड़ने के लिए तैयार नहीं हैं। और हमें आतंकवाद से लड़ाई में देशों के बीच अधिक मजबूत एकता तथा एकजुटता चाहिए।’ संयुक्त राष्ट्र मानवीय एजेंसी के प्रमुख मार्टिन ग्रिफिथ्स ने तालिबान के नेताओं से मुलाकात की थी। इसकी पृष्ठभूमि में गुतारेस ने कहा, ‘अपने स्तर के दुनिया के वह पहले नेता हैं, जो तालिबान नेतृत्व से बात करने काबुल गये। हम तालिबान के साथ स्थायी रूप से संवाद बना रहे हैं और हमारा मानना है कि तालिबान के साथ संवाद इस समय पूरी तरह जरूरी है।’ उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान को अब और आतंकवाद की शरणस्थली नहीं बनने देना चाहिए।