काबुल । अब तक महिलाओं को सुरक्षित माहौल देने वाला वादा कर रहे तालिबानियों के सुर बदलने लगे हैं। तालिबान ने स्वीकार किया है कि मौजूदा दौर में माहौल महिलाओं के लिहाज से बहुत सुविधाजनक नहीं है। तालिबान ने निर्देश दिया है कि महिलाएं घर से ही काम करें। तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि महिलाओं को अपनी सुरक्षा को देखते हुए काम पर नहीं जाना चाहिए। मुजाहिद ने कहा ऐसा करना जरूरी है क्योंकि तालिबानी बदलते रहते हैं और वे प्रशिक्षित नहीं हैं। इससे पहले 1996 से 2001 के तालिबानी शासन के बीच अफगानिस्तान में इस कट्टरवादी समूह ने महिलाओं के काम करने के लिए बाहर जाने पर प्रतिबंध लगा दिया था। साथ ही उन्हें घर पर ही रहने और बुर्का पहनने के लिए मजबूर कर दिया था।
तालिबान का यह बयान विश्व बैंक द्वारा फंडिंग रोकने के निर्णय के कुछ समय बाद आया है। विश्व बैंक ने महिलाओं की सुरक्षा के बारे में चिंताओं का हवाला देते हुए फंडिंग रोक दी है। वहीं संयुक्त राष्ट्र ने तालिबानी कब्जा होने के बाद आ रही मानवाधिकारों के हनन की खबरों की पारदर्शी और त्वरित जांच करने की अपील की है। बता दें कि अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था की विदेशी सहायता पर निर्भरता बहुत ज्यादा है।
तालिबान ने यह वादा तो किया है कि अपने नए शासन में वह पहले की तुलना में काफी उदार होगा लेकिन तालिबान नेताओं ने यह गारंटी देने से इनकार कर दिया है कि महिलाओं के अधिकारों को वापस नहीं लिया जाएगा। साथ ही तालिबान ने मंगलवार को अमेरिका को यह चेतावनी दे दी है उसे निकासी अभियान पूरा करने के लिए 31 अगस्त की समय सीमा का पालन करना चाहिए। इस बीच पेंटागन ने बुधवार को घोषणा की कि पिछले 24 घंटों में कुल 19,000 लोगों ने अफगानिस्तान छोड़ा है, जिसमें से 42 अमेरिकी सैन्य विमानों के जरिए 11,200 लोगों ने उड़ान भरी, वहीं गठबंधन सहयोगियों ने 7,800 लोगों को अफगानिस्तान से निकाला है।