काबुल । अमेरिकी सेना की वापसी के बाद से अफगानिस्तान में स्थिति तेजी से बिगड़ती जा रही है। मंगलवार को तालिबान लड़ाकों ने अफगान सेना को पीछे ढकेलते हुए पांच दिनों में सातवीं प्रांतीय राजधानी पर कब्जा जमा लिया है। स्थानीय अधिकारियों ने कहा कि पश्चिमी फराह प्रांत की राजधानी फराह सुरक्षा बलों के साथ छोटी लड़ाई के बाद तालिबान आतंकियों के कब्जे में आ गया। फराह के राज्यपाल कार्यालय और पुलिस मुख्यालय पर अब तालिबान का कब्जा है।
इस बीच अफगानिस्तान के उत्तर में सबसे बड़ा शहर मजार ए शरीफ भी तालिबान के कब्जे में आ चुका है। हालांकि अफगान सेना का दावा है कि उन्होंने तालिबान के हमले को विफल कर दिया है। इस बीच मजार ए शरीफ में स्थित भारत समेत कई देशों के वाणिज्यिक दूतावास खाली होने शुरू हो गए हैं। भारत ने भी अपने वाणिज्यिक दूतावास से राजनयिकों और कर्मचारियों को वापस बुलाने के लिए विशेष विमान भेजने का ऐलान किया है। इस बीच, अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अफगान सेना की मदद के लिए बहुत कुछ नहीं कर सकता है। पेंटागन के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा कि यह उनका देश है और इसकी रक्षा उन्हीं को करनी होगी। किर्बी से पूछा गया कि क्या अमेरिका सरकारी बलों को इस्लामिक लड़ाकों को खदेड़ने में मदद करने के लिए हवाई हमले तेज करेगा? जवाब में उन्होंने कहा कि यह उनका संघर्ष है।
किर्बी ने कहा वह चिंतित हैं कि अफगानिस्तान के नियंत्रण की लड़ाई तालिबान के पक्ष में जा रही है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति जो बाइडन इस माह के अंत तक वहां अमेरिका की उपस्थिति को समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। मजार-ए-शरीफ पर हमले की पुष्टि अफगान सरकार ने की थी, हालांकि ऐसा माना जाता है कि लड़ाई शहर के बजाय आस पास के इलाकों में हुई थी। अफगानिस्तान में रेडियो स्टेशनों के मालिक साद मोहसेनी ने कहा कि अपनी सुरक्षा के डर से भाग रहे नागरिकों को लेकर हर दिन 15 उड़ानें काबुल के लिए मजार ए शरीफ से निकल रही हैं।
तालिबान ने मजार-ए-शरीफ से महज 40 मील की दूरी पर एक क्षेत्रीय राजधानी ऐबक पर कब्जा कर लिया था। इतना ही नहीं, तालिबान ने अफगान सेना के एक बेस पर भी कब्जा किया है। इस बेस पर तालिबान के हाथ हम्वी सहित 650 सैन्य गाड़ियां लगी हैं। तालिबान ने अबतक कुंदुज, सर-ए-पुल, तालोकान, जरांज, शेबर्गा, मजार-ए-शरीफ और फराह पर कब्जा जमा लिया है। तालिबान लड़ाके तेजी से बाकी प्रांतीय राजधानियों की तरफ भी बढ़ रहे हैं। माना जा रहा है कि कंधार और हेरात भी जल्द ही तालिबान के नियंत्रण में आ जाएंगे। इस बीच यूरोपीय यूनियन के एक अधिकारी ने कहा है कि तालिबान ने अफगानिस्तान के 65 फीसदी हिस्से पर नियंत्रण स्थापित कर लिया है।