कंधार । तालिबान के लड़ाकों ने अफगानिस्तान के दूसरे बड़े शहर कंधार पर कब्जा जमा लिया है। तालिबानी आंदोलन का जन्म भी यही हुआ था। इसी वजह से कंधार शहर को तालिबान आतंकियों की राजधानी कहा जाता है। कंधार शहर की अहमियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वर्ष 1999 में इंडियन एयरलाइंस के विमान आईसी-814 का अपहरण करके आतंकी इसे यहीं पर लाए थे। पिछले एक सप्ताह में कंधार 12वीं ऐसी प्रांतीय राजधानी है जिस पर तालिबान ने कब्जा कर लिया है। इन सबमें कंधार शहर पर तालिबान आतंकियों का कब्जा सबसे अहम है। यह उनके लिए सांकेतिक जीत की तरह से है और रणनीतिक रूप से भी बहुत महत्वपूर्ण है। यह वही जगह है जहां पर वर्ष 1990 के दशक में सबसे पहले तालिबान ने कब्जा कर लिया था। इसके बाद तालिबानी आतंकियों ने काबुल में बैठी सरकार को सत्ता से उखाड़ फेंका था और देश को इस्लामिक देश घोषित किया था। कंधार शहर में ही तालिबान के संस्थापक मुल्ला मोहम्मद उमर का जन्म हुआ था। इसके बाद वर्ष 2001 में अमेरिकी सेना ने 6 लाख की आबादी वाले इस शहर से तालिबान को मार भगाया था। एक समय में कंधार का हवाई अड्डा अमेरिका और नाटो सेनाओं के लिए प्रमुख अड्डा हुआ करता था। करीब 26 हजार सैनिक यहां पर तैनात थे। इसके बाद इस साल मई महीने में इसे अफगान सुरक्षा बलों को सौंप दिया गया था।
तालिबान ने ठीक उसी दिन कंधार शहर पर कब्जा किया है जिस दिन उसने हेरात शहर पर अपना नियंत्रण हासिल किया था। हेरात अफगानिस्तान का तीसरा सबसे बड़ा शहर है और देश की राजधानी काबुल से बेहद करीब है। तालिबान के हमले के खौफ का आलम यह है कि अमेरिका को 5 दिन के अंदर दो बार सुरक्षा अलर्ट जारी करना पड़ा है। अमेरिका ने अपने नागरिकों से कहा है कि वे तत्काल अफगानिस्तान से चले जाएं। यही नहीं भारत ने भी अपने सभी वाणिज्य दूतावास बंद कर दिए हैं और भारतीय नागरिकों को जल्द से जल्द भारत वापस जाने के लिए कहा है। अमेरिका का खुफिया अनुमान है कि अगले 30 से 90 दिन के भीतर काबुल पर भी तालिबान का कब्जा हो सकता है। इससे पहले के अनुमान में कहा गया था कि अगर अमेरिकी सेना वापस जाती है तो तालिबान को काबुल पर कब्जा करने में 6 से 12 महीने का समय लगेगा।
इस बीच अब अमेरिका तालिबान को यह समझाने में लगा है कि अगर उसे भविष्य में अमेरिकी वित्तीय मदद चाहिए तो काबुल में अमेरिकी दूतावास को निश्चित रूप से खुला और सुरक्षित रखना होगा। इस बीच जिस तेजी से तालिबान के आतंकी कब्जा कर रहे हैं, उससे अमेरिका के सैन्य रणनीतिकार और सुरक्षा अधिकारी भौचक्का हैं। इसके बाद भी अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन अपनी सैनिकों को 31 अगस्त तक हटाने की योजना से पीछे नहीं हट रहे हैं। उन्होंने कहा, 'मुझे अपने फैसले पर पछतावा नहीं है।'