नई दिल्ली। लॉकडाउन से भले ही देश की इकोनॉमी तबाह हो गई हो, कई सेक्टर को भारी नुकसान हुआ हो, लेकिन गन्ना उत्पादन के लिए तो यह मिठास बढ़ाने वाला ही साबित हुआ है। मई के अंत तक देश में गन्ना उत्पादन 268.21 लाख टन का हुआ जो अनुमान से अधिक है। उत्तर प्रदेश में रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है। गौरतलब है कि लॉकडाउन के बीच भी गन्ना मिल जैसे कुछ उद्योग लगातार चलते रहे। अभी भी करीब 18 चीनी मिलें शुगरकेन क्रशिंग कर रही हैं।
देश में निजी चीनी मिलों के शीर्ष संगठन इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) ने कहा कि इस साल के गन्ना पेराई सीजन 2019-20 (अक्टूबर-सितंबर) में चीनी का उत्पादन 270 लाख टन हो सकता है। इससे पहले इस्मा ने इस साल 265 लाख टन चीनी का उत्पादन होने का अनुमान जारी किया था। हालांकि यह अनुमान एक साल पहले के मुकाबले 60 लाख टन या 18 फीसदी कम ही है।
असल में लॉकडाउन के बीच चीनी का बेहतर उत्पादन होने की वजह यह है कि देश के सबसे बड़े उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश के गुड़ और खांडसारी उत्पादकों का कामकाज बंद था। इसकी वजह से गन्ना पूरी तरह से शुगर क्रशिंग मिलों को जा रहा था। देश में चीनी के सबसे बड़े उत्पादक उत्तर प्रदेश में 31 मई तक 125.46 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है जोकि पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 7.65 लाख टन ज्यादा होने के साथ-साथ प्रदेश में अब तक का रिकॉर्ड उत्पादन है।
उत्तर प्रदेश में 14 चीनी मिलें अभी भी चालू हैं जबकि देशभर में 18 मिलों में उत्पादन चल रहा है। महाराष्ट्र में चीनी का उत्पादन 60.98 लाख टन हुआ है जोकि पिछले साल के मुकाबले 46.2 लाख टन कम है। पिछले साल महाराष्ट्र में चीनी का उत्पादन 107.20 लाख टन हुआ था। देश में चीनी का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक कर्नाटक है जहां इस बार 33.82 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है जबकि पिछले साल 43.25 लाख टन हुआ था।