भोपाल । पितरों का तर्पण का पर्व श्राद्ध पक्ष या पितृ पक्ष आज से प्रारंभ हो गया। प्रदेश की पावन नदियों मां नर्मदा, शिप्रा तथा बेतवा के घाटों पर अपने पितरों को तर्पण कराने के लिए श्रद्धालु उमड़ पडे। पहले दिन बुधवार को विदिशा में बेतवा के घाट पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु पितरों का तर्पण करने पहुंचे। विद्वान आचार्यो ने पूरे विधान के साथ तर्पण कराया। पितरों का तर्पण करने के लिए सुबह करीब 5 बजे से ही श्रद्धालुओं का पहुंचना शुरू हो गया था। सात बजे तक श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। पितृपक्ष का समापन 17 सितंबर को सर्व पितृ मोक्ष अमावस्या पर होगा। 19 साल बाद ऐसा संयोग बना है कि दो अश्विन अधिकमास होने से श्राद्ध के एक महीने बाद शारदीय नवरात्र शुरू होंगे। वैसे हर साल श्राद्ध पक्ष खत्म होते ही नवरात्र शुरू हो जाता था। राजधानी के ज्योतिषाचार्य की माने तो श्राद्ध पक्ष के दौरान श्रद्धालु अपने पितरों को याद करते हुए उनके निमित्त तर्पण, श्राद्ध व पिंडदान कर अपनी श्रद्धा, आस्था और कृतज्ञता प्रकट करेंगे। बहुत से लोग उज्जैन, बनारस, इलाहबाद, हरिद्वार, त्र्यंबकेश्वर व गयाजी आदि स्थानों पर पिंडदान व कर्मकांड करेंगे। हालांकि कोरोना वायरस के कारण इस बार तीन स्थानों पर जाने के लिए लोगों को ट्रेन की सुविधा नहीं मिलेगी। श्रद्धालु उचित शारीरिक दूरी और सीमित लोगों के साथ भागवत कथा का आयोजन कर सकते हैं, पितृ पक्ष के पहले दिन मंगलवार से ही शहर के छोटे-बड़े तालाबों के घाटों पर तर्पण के जरिए जलांजलि देने की शुरूआत हुई, जो पितृमोक्ष अमावस्या तक जारी रहेगी। जो लोग अपने पितरों के निमित्त पूर्णिमा से पितृ मोक्ष अमावस्या तक नियमित रूप से तर्पण और श्राद्ध आदि कर्मकांड करेंगे, उनके लिए पितृ पक्ष 17 दिन का रहेगा, जबकि जो लोग अगले दिन प्रतिपदा से तर्पण शुरू करेंगे, उनके लिए यह पक्ष 16 दिन का ही रहेगा। ज्योतिषाचार्य के अनुसार पितृ पक्ष इस बार 16 के बजाय 17 दिन के होंगे। इसकी वजह पूर्णिमा तिथि का एक सितंबर को अनंत चतुर्दशी की दोपहर से प्रारंभ होना है।