झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाई जारी

Updated on 15-05-2020 07:28 PM

मरीजों की जान से कर रहे खिलवाड़, हुई एफआईआर
भोपाल । भयावह महामारी कोरोना वायरस के संक्रमण काल में प्रदेश के जबलपुर शहर में मरीजों की जान से खिलवाड़ करने वाले झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ स्वास्थ्य विभाग व पुलिस की ताबड़तोड़ कार्रवाई जारी है। भारतीय चिकित्सा परिषद में पंजीयन के बगैर क्लीनिक खोलकर एलोपैथी की एच शेड्यूल की प्रतिबंधित दवाएं लिखकर मरीजों की जान के साथ मजाक ‎किया जा रहा है। गोरखपुर थाने में एक झोलाछाप डॉक्टर के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के 24 घंटे के भीतर दूसरी बड़ी कार्रवाई घमापुर में हुई और पुलिस ने बिहार के फर्जी संस्थान की डिग्री के आधार पर चिकित्सा व्यवसाय करने वाले झोलाछाप के विरुद्घ धोखाधड़ी समेत अन्य धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज कर उसकी तलाश प्रारंभ कर दी। इधर, गोरखपुर पुलिस भी एफआईआर दर्ज करने के बाद झोलाछाप की तलाश में जुटी हुई है। घमापुर थाना प्रभारी शैलेष मिश्रा ने बताया कि डॉ. जितेन्द्र सिंह वर्मा द्वारा कांचघर चौक से शीतलामाई रोड पर तथा कांचघर से चुंगी चौकी रोड पर दुकान खोलकर चिकत्सा व्यवसाय किया जा रहा था। मुख्य चिकत्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मनीष मिश्रा के निर्देश पर झोलाछाप डॉक्टरों की जांच के लिए गठित टीम के सदस्यो डॉ. राधावल्लभ चौधरी, डॉ. धीरज दवंडे व मीडिया अधिकारी अजय कुरील ने जब डॉ. जितेन्द्र वर्मा के औषधालयों की जांच पड़ताल की तो पता चला कि वह बिहार के एक फर्जी संस्थान मेडिकल काउंसिल आफ पेटेंट मेडिसन सोसायटी की डिग्री के आधार पर अनाधिकृत रूप से चिकत्सा व्यवसाय कर रहा है। टीम ने दस्तावेजों की जांच की तो पता चला कि वह गैर कानूनी तौर पर मरीजों के परचे पर एलोपैथी दवाएं लिख रहा है। थाना प्रभारी मिश्रा ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट से पता चला कि झोलाछाप डॉक्टर जितेन्द्र वर्मा घमापुर में साईं क्लीनिक तथा कांचघर चुंगी चौकी रोड पर गौरव मेडिकल शॉप के भीतर क्लीनिक चला रहा था। एक दवाखाना का नाम साईं क्लीनिक तथा मेडिकल स्टोर के भीतर एमबीबीएस डॉक्टर उदानिया का बोर्ड लगाकर मरीजों की सेहत से खिलवाड़ कर रहा था। 7 अप्रैल को स्वास्थ्य विभाग की टीम ने क्लीनिक पर दबिश देकर कई मरीजों से पूछताछ की जिनके परचे पर उसने प्रतिबंधित श्रेणी की एलोपैथी दवाएं लिखा था।इस बारे में जांच अधिकारी डॉ. राधावल्लभ चौधरी का कहना है ‎कि जितेन्द्र सिंह वर्मा को अपने नाम के आगे डॉक्टर लिखने का भी अधिकार नहीं है। कोरोना महामारी के दौरान दो क्लीनिक संचालित कर मरीजों को एलोपैथी दवाएं लिखकर वह उनकी जान के साथ खिलवाड़ कर रहा है। जिस संस्थान की डिग्री की छायाप्रति उसने पेश की बिहार हाईकोर्ट उसे फर्जी घोषित कर चुका है। भारतीय चिकित्सा परिषद के मापदंडों का उल्लंघन करने पर कारावास व जुर्माने की सजा का प्रावधान है।

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