मास्को । अमेरिका और नाटो देशों के साथ तनाव के बीच रूस ने अपनी तीसरी हाइपरसोनिक मिसाइल जिरकॉन का सफल परीक्षण किया है। जिरकॉन एक एंटी शिप मिसाइल है और इस सफल परीक्षण के बाद माना जा रहा है कि इसे अगले साल तक सक्रिय कर दिया जाएगा। अमेरिका के पास अभी भी कोई ऑपरेशनल हाइपरसोनिक मिसाइल नहीं है। हाइपरसोनिक मिसाइल के परीक्षण पर अमेरिका ने नाराजगी जताते हुए कहा है कि इससे अस्थिरता बढ़ेगी।
दरअसल, अमेरिका के पास 20 एयरक्राफ्ट कैरियर और असॉल्ट-शिप हैं और रूस ऐसी घातक मिसाइलें बनाकर अमेरिका की शक्ति को संतुलित करने में लगा रहता है। ठीक यही रणनीति अब चीन ने भी अपना ली है। रूस के रक्षा मंत्रालय ने एक वीडियो जारी कर दिखाया कि एक बहुत तेज मिसाइल रूसी युद्धपोत एडमिरल गोर्शकोव से निकल रही है। इससे पहले भी एडमिरल गोर्शकोव से ही तीन बार जिरकॉन मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया था।
रूस के रक्षा मंत्रालय ने बताया कि यह परीक्षण ह्वाइट सी में किया गया है और बैरंट सी के तट पर एक जमीनी टारगेट को तबाह किया गया। उसने कहा कि यह मिसाइल ध्वनि की 7 गुना रफ्तार या मैक 7 की गति से हमला करने में सक्षम है। परीक्षण के दौरान मिसाइल ने 8600 किमी प्रति घंटे की रफ्तार हासिल की।
इस तरह से मिसाइल ने दागे जाने के मात्र ढाई मिनट के अंदर अपने लक्ष्य को तबाह कर दिया। रूस की योजना अपनी सेना को हाइपरसोनिक मिसाइलों से लैस करने की है, ताकि वे किसी भी अमेरिकी डिफेंस सिस्टम को चकमा देकर अपने लक्ष्य को तबाह कर सकें। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने वर्ष 2018 में कहा था कि यह मिसाइल दुनिया के किसी भी हिस्से पर हमला कर सकती है और अमेरिका के बनाए डिफेंस सिस्टम को भी चकमा दे सकती है।
सन 2018 में ही पुतिन ने धमकी दी थी कि अगर अमेरिका ने अपनी मध्यम दूरी की मिसाइलों को यूरोप में तैनात किया तो वह अपने युद्धक जहाजों और सबमरीन को जिरकॉन मिसाइल से लैस कर देंगे। माना जाता है कि यह मिसाइल 1000 किमी तक अपने दुश्मन को तबाह करने की ताकत रखती है। पश्चिमी विश्लेषक रूस की इस ताकत पर सवाल उठाते हैं लेकिन यह भी कहते हैं कि हाइपरसोनिक मिसाइल को ट्रैक करना और उसे इंटरसेप्ट करना बहुत मुश्किल है।