रूस, चीन और ईरान बनाम अमेरिका... ब्रिक्स समिट में भारत ने साधा ऐसा कूटनीतिक संतुलन अमेरिकी एक्सपर्ट हुए मुरीद, जमकर तारीफ

Updated on 24-10-2024 01:15 PM
मॉस्को: रूस के कजान में हुए ब्रिक्स शिखर सम्मेलन ने दुनियाभर में चर्चा बटोरी है। रूसी राष्ट्रपति का वैश्विक नेताओं को जुटाकर पश्चिम को ताकत दिखाना हो या फिर चीन-भारत के शीर्ष नेताओं की मुलाकात, इसने कई संदेश दिए हैं। खासतौर से भारत की बात की जाए तो समिट ने नई दिल्ली की भूराजनीतिक स्थिति को रेखांकित किया है। ब्रिक्स में भारत की भूमिका की ग्लोबल पॉलिटिकल रिस्क एक्सपर्ट इयान ब्रेमर ने तारीफ की है और विदेश नीति में संतुलन को सराहा है।

फर्स्टपोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रेमर ने ग्लोबल साउथ में भारत की भूमिका, चीन के साथ संबंध और जी7 देशों में उसके रिश्तों पर बात की है। ब्रेमर ने कहा कि भारत की भारत की वैश्विक स्थिति बहुत बेहतर है। भारत के अलावा कोई भी प्रमुख अर्थव्यवस्था तकरीबन हर किसी के साथ दोस्ती के करीब नहीं है। मोदी ने ब्रिक्स में भी बेहतर तरीके से अपने हितों को रखा है और संतुलन बनाने की कोशिश की है।

ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भारत का कूटनीतिक संतुलन


ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग, ईरान के प्रेसीडेंट के साथ द्विपक्षीय बातचीत की। मोदी ने समिट में अपने भाषण में आतंकवाद पर दोहरे मानकों को समाप्त करने का भी आह्वान किया। ब्रेमर कहते है कि ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से मुख्य निष्कर्ष ये है कि भारत वैश्विक स्तर पर दूसरे देशों के मुकाबले सबसे अच्छी भूराजनीतिक स्थिति रखता है।

इसी साल सितंबर में डेलावेयर, अमेरिका में छठे क्वाड लीडर्स शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी की भागीदारी से भारत की भू-राजनीतिक रणनीति का उदाहरण सामने आया था। क्वाड में ऑस्ट्रेलिया, जापान, भारत और अमेरिका शामिल हैं। यहां भारत के प्रयासों का केंद्र हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा सहयोग को मजबूत करना रहा है, जहां चीन की आक्रामकता एक चिंता का सबब रही है।

वैश्विक मंच पर भारत की भूमिका


वैश्विक मंच पर भारत का बढ़ता प्रभाव उसके आर्थिक और सैन्य दबदबे तक सीमित नहीं है। वह रूस-यूक्रेन संघर्ष में खुद को शांतिदूत के रूप में तेजी से स्थापित कर रहा है। अजित डोभाल की रूसी राष्ट्रपति पुतिन और फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन के साथ हाल की बैठकें वैश्विक संघर्षों को हल करने में एक बड़ी भूमिका निभाने के लिए भारत की उत्सुकता का संकेत देती हैं।

चीन के साथ बातचीत के साथ-साथ अमेरिका और रूस दोनों के साथ मजबूत रिश्ते बनाए रखने की भारत की क्षमता उसकी अद्वितीय राजनयिक स्थिति को दर्शाती है। अपने मुख्य भू-राजनीतिक साझेदार के रूप में चीन पर रूस की बढ़ती निर्भरता के मद्देनजर यह संतुलन बनाए रखना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।

विश्व मंच पर भारत का बढ़ता प्रभाव ग्लोबल साउथ में उसकी भूमिका और वैश्विक संघर्षों में मध्यस्थ के रूप में इसकी बढ़ते रोल से साफ है। पश्चिम ने भारत की रियायती रूसी तेल की निरंतर खरीद और यूक्रेन में रूसी आक्रामकता की निंदा करने की अनिच्छा पर नाराजग दिखाई है लेकिन भारत ने साफ किया है कि उसकी विदेश नीति रणनीतिक हितों के साथ आगे बढ़ेगी।
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