नई दिल्ली । भारतीय धाविका किरणजीत कौर के केरियर को एक गांव के चितित्सक से दवा लेना भारी पड़ गया और उसे इसका खमियाजा 4 साल के खेल प्रतिबंध के रूप में भुगतना पड़ा। टाटा स्टील कोलकाता 25 के जीतने वाली लंबी दूरी की धाविका किरणजीत कौर पर विश्व एथलेटिक्स डोपिंग निरोधक एजेंसी ने प्रतिबंधित पदार्थ के सेवन के आरोप में चार साल का प्रतिबंध लगा दिया। राष्ट्रीय डोप जांच लेबोरेटरी पर विश्व डोपिंग निरोधक एजेंसी ने निलंबन लगा रखा है। इसी वजह से कौर के नमूने दोहा में वाडा की अधिकृत लैब में भेजे गए थे।
32 वर्ष की कौर से टाटा स्टील कोलकाता 25के का शीर्ष पुरस्कार भी छीन लिया जायेगा। उनके प्रतिबंध की अवधि 15 दिसंबर से शुरू हो गई है जिस दिन उनके नमूने लिये गए थे। विश्व एथलेटिक्स ने 26 फरवरी को उन्हें अस्थायी तौर पर निलंबित कर दिया था। एथलेटिक्स नैतिकता ईकाई ने कहा, ‘इस दौरान उसकी सभी स्पर्धाओं के नतीजे रद्द माने जायेंगे। उसके खिताब, पुरस्कार, पदक, ईनामी राशि वापिस ले ली जायेगी।’ कौर ने पिछले साल मार्च में पटियाला में फेडरेशन कप राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में 10000 मीटर का कांस्य पदक जीता था। उसने 2018 में गुवाहाटी में राष्ट्रीय अंतर प्रांत चैम्पियनशिप में भी 5000 मीटर का रजत पदक जीता था। कौर ने कहा था कि उसे टायफाइड हुआ था और उसने गांव में एक डाक्टर की दी दवा ली थी। उसे नहीं पता था कि इसमें क्या है।
कोरोना वायरस के कारण जब दुनिया भर में खेल गतिविधियां ठप पड़ी हैं तब विश्व डोपिंग रोधी एजेंसी (वाडा) धोखाधड़ी करने वाले खिलाड़ियों को पकड़ने के लिये ‘कृत्रिम बौद्धिकता’ को नये साधन के तौर पर उपयोग करने पर विचार कर रहा है। वाडा कनाडा और जर्मनी में ऐसी चार परियोजनाओं में पैसा लगा रहा है जिनसे उसे यह पता करने में मदद मिल सकती है कि क्या प्रतिबंधित दवाईयों के सेवन के ऐसे मामलों को कृत्रिम बौद्धिकता से पकड़ा जा सकता है जो जांचकर्ताओं से बच जाते हैं। इस तकनीक से हालांकि नैतिक मुद्दे भी जुड़े हुए हैं। खिलाड़ियों को केवल मशीन के कहने पर निलंबित नहीं किया जा सकता है। इसके बजाय कृत्रिम बौद्धिकता ऐसा उपाय है जो संदिग्ध खिलाड़ियों की पहचान करने में मदद करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि इन खिलाड़ियों का परीक्षण किया जाना चाहिए।