सिंगापुर । राष्ट्रीय संक्रामक रोग केंद्र (एनसीआईडी) के नेतृत्व में हुए अध्ययन में पाया गया हैं, कि सिंगापुर में कोविड-19 से ठीक हुए 10 रोगियों में से एक में उनके प्रारंभिक संक्रमण के छह महीने बाद तक वायरस के लक्षण बने हुए थे। कोविड से ठीक होने के बाद ऐसी स्थिति में इन लोगों में आमतौर पर खांसी और सांस की तकलीफ देखने को मिली। अन्य लक्षणों में लगातार थकान, चक्कर आना और अनिद्रा शामिल हैं लेकिन ये लक्षण अक्सर नहीं दिखाई दिए।
विशेषज्ञों के हवाले से अपनी खबर में बताया कि ‘लॉन्ग कोविड’ सामाजिक दृष्टिकोण से एक गंभीर चिंता का विषय है और यदि यह व्यापक रूप से होता है,तब आने वाले वर्षों में समाज और अर्थव्यवस्था पर दबाव पड़ेगा। रोगियों को आमतौर पर उनकी बीमारी के पहले सप्ताह के दौरान अध्ययन में शामिल किया और छह महीने तक उनकी निगरानी की जाती है। कुल 288 रोगियों को इसमें शामिल हुए थे। अध्ययन जनवरी 2020 के मध्य में सिंगापुर में पहला मामला सामने आने के तुरंत बाद शुरू हुआ, जिसका उद्देश्य संक्रमण के दो साल बाद तक कोविड-19 के दीर्घकालिक प्रभाव का अध्ययन करना और यह भी समझना था कि संक्रमण से कोई सुरक्षात्मक प्रतिरक्षा समय के साथ कैसे विकसित होती है।
अध्ययन में शामिल डॉक्टर ने कहा, हम उन मामलों से समझते हैं जो कोविड-19 से गंभीर स्थिति से गुजरे हैं, हालांकि फेफड़े प्रभावित होने वाले प्रमुख अंग हैं, वायरस ने वास्तव में व्यापक नुकसान पहुंचाया है। इसमें ह्रदय के साथ-साथ छोटी रक्त वाहिकाओं की अंदरूनी परत को नुकसान शामिल है। कुछ मरीजों में, सार्स-सीओवी-2 वायरस रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाता है। उन्होंने कहा कि लंबे समय तक कोविड के लक्षण रहने के बारे में अभी भी बहुत कुछ पता नहीं चला है। ‘
कोविड-19 से स्वस्थ हुए एक मरीज ने कहा कि उन्हें सूंघने की क्षमता पूरी तरह वापस पाने में लगभग एक साल लग गया। वह पिछले साल छह अप्रैल को कोरोना से संक्रमित थी और 25 अप्रैल को उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी। मरीज ने बताया, जब मेरी पहली बार जांच की गई थी, तो मुझे बुखार हो गया था और मेरी सूंघने की क्षमता चली गई थी। मेरा स्वाद भी चला गया था। मेरी स्वाद लेने की क्षमता लगभग छह महीने बाद और सूंघने की क्षमता एक साल बाद वापस आई।’’ डा. यंग ने कहा कि अन्य जटिलताओं जैसे रक्त के थक्के को भी लंबे कोविड का हिस्सा माना जा सकता है।