एमपी का 9वां टाइगर रिजर्व बना रातापानी अभ्यारण्य:दो दिन में दो टाइगर रिजर्व मिले

Updated on 03-12-2024 01:12 PM

भोपाल से लगा रातापानी अभ्यारण्य मध्यप्रदेश का 9वां टाइगर रिजर्व होगा। राज्य सरकार ने 2 दिसंबर सोमवार को इसकी अधिसूचना जारी कर दी है। इससे पहले रविवार को केंद्र सरकार ने शिवपुरी के माधव नेशनल पार्क को प्रदेश का 8वां टाइगर रिजर्व घोषित किया था। दो दिन में मध्यप्रदेश को दो नए टाइगर रिजर्व की सौगात मिली है। प्रदेश में टाइगर रिजर्व की संख्या 7 से बढ़कर अब 9 हो गई हैं।

रातापानी अभ्यारण्य को लेकर जारी अधिसूचना के मुताबिक प्रस्तावित रातापानी टाइगर रिजर्व के कोर एरिया का रकबा 763.812 वर्ग किलोमीटर होगा, जबकि बफर एरिया का रकबा 507.653 वर्ग किलोमीटर है। इस प्रकार टाइगर रिजर्व का कुल रकबा 1271.465 वर्ग किलोमीटर होगा। यह एरिया रायसेन और सीहोर जिले में आता है।

रातापानी टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र की सीमा के अंदर स्थित राजस्व ग्राम झिरी बहेड़ा, जावरा मलखार, देलावाड़ी, सुरई ढाबा, पांझिर, कैरी चौका, दांतखो, साजौली और जैतपुर का रकबा 26.947 वर्ग किलोमीटर राजस्व भूमि इन्क्लेव के रूप में बफर क्षेत्र में शामिल है। टाइगर रिजर्व में भौगोलिक रूप से स्थित ये 9 गांव , उक्त 9 ग्राम अभयारण्य की अधिसूचना में कोर क्षेत्र में शामिल नहीं हैं।

पर्यटन बढ़ने से मिलेंगे रोजगार

रातापानी टाइगर रिजर्व बनने से टाइगर रिजर्व का सम्पूर्ण कोर क्षेत्र रातापानी टाइगर अभ्यारण्य की सीमा के भीतर है। इससे ग्रामीणों के वर्तमान अधिकार में कोई परिवर्तन नहीं होगा। स्थानीय ग्रामीणों को पर्यटन से नए रोजगार के अवसर मिलेंगे। स्थानीय ग्रामीणों को ईको टूरिज्म के जरिए फायदा होगा।

टाइगर रिजर्व बनने से रातापानी को अंतर्राष्ट्रीय पहचान मिलेगी। भोपाल की पहचान टाइगर राजधानी’ के रूप में होगी। टाइगर रिजर्व गठित होने से भारत सरकार के राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण से बजट प्राप्त होने से वन्य-प्राणियों का और बेहतर ढंग से प्रबंधन किया जा सकेगा।

एमपी में 785 बाघ हैं रातापानी और माधव नेशनल पार्क को टाइगर रिजर्व घोषित करने से पहले मध्य प्रदेश में 7 टाइगर रिजर्व हैं। ये टाइगर रिजर्व कान्हा, बांधवगढ़, पेंच, पन्ना, सतपुड़ा, संजय दुबरी, नौरादेही हैं। अब रातापानी और माधव नेशनल पार्ट के टाइगर रिजर्व बनने से ये संख्या 9 हो गई है।

मध्य प्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा मिला हुआ है। वर्ष 2022 की गणना के मुताबिक यहां 785 बाघ हैं। वर्ष 2018 में यह संख्या 526 थी। मध्य प्रदेश में बाघों की संख्या बढ़ने की वजह से यहां वन्य जीवों के आशियाने तेजी से बढ़ रहे हैं।

भारत में अब 3682 बाघ 2022 की गणना के मुताबिक, भारत में अब 3682 टाइगर हैं। 2018 में यह आंकड़ा 2967 था। बाघ सालाना 6% की दर से बढ़े हैं। भारत में हर चार साल में बाघ की गणना की जाती है।


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