दोहा । तालिबान शासन में महिलाओं के साथ क्या सलूक किया जाएगा इसे लेकर दुनिया के डर सच साबित होने लगे हैं। महिलाओं को समान अधिकार देने की बात करने वाले तालिबानी नेताओं ने अब महिलाओं पर बंदिशें बढ़ानी शुरू की हैं। इस बीच कतर ने तालिबान से महिलाओं के अधिकारों को सम्मान देने को कहा है। कतर का तालिबान पर काफी प्रभाव रहा है। उम्मीद की जाती है कि तालिबान उसकी बात को गंभीरता से सुनेगा।
कतर के विदेश मंत्री ने बताया है कि तालिबान से महिलाओं के अधिकार को सम्मान देने के लिए कहा गया है। उसे ऐसे
कई मुस्लिम देशों का उदाहरण दिए गए, जहां समाज में महिलाओं की सक्रिय भूमिका होती है। शेख मोहम्मद बिन अब्दुल रहमान अल थनी अपने फ्रांसीसी समकक्ष जीन वीस ले ड्रायन के साथ संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोल रहे थे। वहीं, जीन ने कहा है कि फ्रांस के कई नागरिक अफगानिस्तान में फंसे हैं और उन्हें निकालने के लिए कतर की मदद ली जा रही है। उन्होंने कहा काबुल से अब तक हमने जो प्रतिक्रिया देखी है, वह हमारी अपेक्षाओं के अनुरूप नहीं है। उन्होंने कहा फ्रांस और बाकी अंतरराष्ट्रीय समुदाय तालिबान पर आतंकवादियों को शरण न देने, मानवीय सहायता करने की अनुमति देने और महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करने समेत अन्य मांगों के वास्ते दबाव डालना जारी रखेगा।
दुनिया में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाले देश इंडोनेशिया के विदेश मंत्री ने भी तालिबान से महिलाओं के अधिकारों का सम्मान करने और अफगानिस्तान को चरमपंथी गतिविधियों के पनपने का मैदान नहीं बनने देने का आग्रह किया।
मरसुदी और उनकी ऑस्ट्रेलिया समकक्ष मारिसे पायने ने तालिबान से मानवाधिकारों, खासकर, महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों का सम्मान करने का आग्रह किया। इंडोनेशिया ने 2002 के बाद से कई आतंकी हमलों का सामना किया है। 2002 में बाली द्वीप पर किए गए हमले में 202 लोगों की मौत हुई थी जिनमें 88 ऑस्ट्रेलियाई समेत अधिकतर विदेश शामिल थे।