काबुल । पाकिस्तान और तालिबान आतंकियों की नापाक दोस्ती के खिलाफ अफगानिस्तान के उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह ने मोर्चा खोल दिया है। अमरुल्ला सालेह अफगान राष्ट्रपति भवन में नमाज के दौरान रॉकेट हमले के बाद कुछ देर के लिए झुक गए थे। इस पर पाकिस्तानी और तालिबान उन्हें ट्विटर पर ट्रोल करने लगे। अफगान उपराष्ट्रपति ने भारत की एक तस्वीर पोस्ट कर पाकिस्तानी ट्रोल आर्मी की बोलती बंद कर दी। दरअसल, यह तस्वीर साल 1971 के जंग की है जिसमें पाकिस्तानियों को भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण करना पड़ा था। अमरुल्ला सालेह ने लिखा कि 'हमारे इतिहास में ऐसी कोई तस्वीर नहीं है और कभी ऐसी तस्वीर होगी भी नहीं। हां कल जब रॉकेट हमारे ऊपर से गुजरा और कुछ ही दूरी पर गिरा तो मैं कुछ सेकंड के लिए घबरा गया था। प्रिय पाकिस्तानी ट्विटर हमलावर तालिबान और आतंकवाद इस तस्वीर में आपको मिले जख्म को नहीं भरेंगे। कोई दूसरा रास्ता तलाश करिए।
सालेह का यह ट्वीट वायरल हो गया है और अब तक पांच हजार से ज्यादा रीट्वीट हो चुका है। वहीं 18 से ज्यादा लोगों ने इसे लाइक किया है। इस ट्वीट के बाद पाकिस्तानियों को तीखी मिर्ची भी लगी। इससे पहले सालेह ने अफगानिस्तान की जंग में पाकिस्तान और तालिबान की नापाक दोस्ती का दुनिया के सामने खुलासा किया था। साहेल ने ट्वीट कर दावा किया था कि पाकिस्तान वायु सेना ने अफगान सेना और वायु सेना को आधिकारिक चेतावनी जारी की है कि स्पिन बोल्डक क्षेत्र से तालिबान को हटाने के किसी भी कदम के खिलाफ जवाबी कार्रवाई की जाएगी। अफगान उपराष्ट्रपति ने आरोप लगाया था कि पाक वायु सेना अब तालिबान को कुछ इलाकों में नजदीकी हवाई सहायता मुहैया करा रही है। स्पिन बोल्डक को पाकिस्तान में चमन बॉर्डर के नाम से जाना जाता है। इस बॉर्डर पर हाल में ही तालिबान ने अफगान सेना को खदेड़कर अपना कब्जा जमाया है। अफगानिस्तान के कंधार प्रांत के स्पिन बोल्डाक इलाके में बनी सीमा चौकी पर कब्जा करने के बाद तालिबान के हाथ तीन अरब रुपए लगे हैं।