काबुल । अफगानिस्तान में विद्रोहियों का आखिरी किला पंजशीर घाटी भी ढह गया है। यह अफगानिस्तान का एक ऐसा किला है, जिस पर सोवियत सेना भी कब्जा नहीं कर पाई थी। इस किले को तालिबान ने पाकिस्तानी एयरफोर्स और आईएसआई चीफ की मदद से फतह कर लिया है। तालिबान के लिए नाक का सवाल बनी पंजशीर घाटी पर कब्जा करने के लिए करीब 10 हजार आतंकियों को उतारा जिन्होंने भीषण हिंसा और रक्तपात के बीच घाटी के अधिकांश हिस्सों पर कब्जा कर लिया है। रविवार रात चले भीषण संघर्ष में अहमद मसूद के प्रवक्ता फहीम दश्ती और शीर्ष कमांडर जनरल साहिब अब्दुल वदूद झोर की मौत हो गई है।
पंजशीर घाटी पर कब्जे को लेकर इस बार तालिबान ने भारी तैयारी की थी। पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई प्रमुख और वरिष्ठ तालिबान नेताओं के बीच मंत्रणा के बाद रविवार की रात तालिबान और पाकिस्तानी सेना ने मिलकर पंजशीर घाटी पर हमला बोला। जमीन और नभ से की गई इस कार्रवाई में नार्दर्न अलायंस के लड़ाकों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। भीषण संघर्ष में अहमद मसूद को बड़ा झटका लगा और उनके प्रवक्ता फहीम दश्ती और शीर्ष कमांडर जनरल साहिब अब्दुल वदूद झोर की मौत हो गई। देश के कार्यवाहक राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह के घर को भी हवाई हमले में ध्वस्त कर दिया गया। अहमद मसूद के नेशनल रेजिस्टेंस फ्रंट ने कहा पाक सेना पंजशीर में तालिबान लड़ाकों को हवाई सहायता प्रदान कर रही है। पाक सेना के स्पेशल फोर्स के जवानों को पैराशूट के सहारे एयरड्रॉप किया गया है।
इतना ही नहीं, तालिबान लड़ाके कब्जे में लिए गए अमेरिकी हेलिकॉप्टरों के जरिए विरोधी गुटों पर हवाई फायरिंग कर रहे हैं। पाकिस्तान के ड्रोन हमले की भी खबरें हैं। तालिबान और पाकिस्तान की इस संयुक्त कार्रवाई के बाद अमरुल्ला सालेह और अहमद मसूद दोनों ही सुरक्षित स्थानों पर चले गए हैं। तालिबान का अब पंजशीर घाटी के लगभग सभी स्थानों पर कब्जा हो गया है। तालिबान ने दावा किया है कि उसने भारी लड़ाई के बाद पंजशीर पर कब्जा कर लिया है।
पंजशीर पर कब्जे की खबर आने के बाद राजधानी काबुल में जोरदार हवाई फायरिंग करके जश्न मनाया गया। बताया जा रहा है कि इस पूरी कार्रवाई में पाकिस्तान ने तालिबान को हवाई सहायता मुहैया कराई है। उधर, तालिबान ने पंजशीर घाटी जाने वाली सभी सप्लाइ को रोक दिया है। इससे पंजशीर के विद्रोहियों को समय पर रसद की आपूर्ति नहीं हो पाई और उन्हें धीरे-धीरे उनके पास गोला बारूद कम पड़ने लगा। इस कार्रवाई में दोनों ही पक्षों को भारी नुकसान पहुंचा है। तालिबान ने यह हमले ऐसे समय पर तेज किए जब आईएसआई चीफ जनरल फैज काबुल पहुंचे हैं।
कहा जा रहा है कि पंजशीर में लड़ाई की वजह से ही तालिबान सरकार का अब तक गठन नहीं हो पा रहा है। दरअसल, पंजशीर के विद्रोही नेता अहमद मसूद सत्ता में अल्पसंख्यक ताजिक मूल के लोगों के लिए भागीदारी मांग रहे थे और यह तालिबान को मंजूर नहीं था। दोनों के बीच काफी बातचीत हुई, लेकिन इस मुद्दे पर तालिबानी झुकने को तैयार नहीं हुए। इसके बाद तालिबान ने अमेरिकी हथियारों और पाकिस्तानी मदद से पंजशीर पर भीषण हमला शुरू किया और अब लगभग सारे पंजशीर पर कब्जा कर लिया है। अहमद मसूद ने तालिबान से सीजफायर का आह्वान किया है। बताया जा रहा है कि तालिबान के साथ जंग में अहमद मसूद को भारी नुकसान पहुंचा है। वह सुरक्षित स्थान पर चले गए हैं। इस बीच मसूद के पक्ष ने कहा है कि तालिबान पंजशीर घाटी से वापस जाए, इसके बदले में वे भी अपनी सैन्य कार्रवाई बंद कर देंगे। मसूद ने अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि इसके बाद दोनों ही पक्षों के धार्मिक विद्वानों की उलेमा काउंसिल की बैठक बुलाई जाए