प्योंगयांग। उत्तर कोरिया ने एक बार फिर लंबी दूरी की क्रूज मिसाइलों का परीक्षण किया है। उत्तर कोरिया की एक समाचार एजेंसी ने सोमवार को कहा कि यह मिसाइल दो साल में तैयार की गई और इसका परीक्षण शनिवार और रविवार को हुआ। इस क्रूज मिसाइल ने 1500 किलोमीटर दूर अपने लक्ष्यों को सटीकता के साथ भेदा। यह दावा ऐसे समय किया गया है कि जब परमाणु हथियारों पर अमेरिका के साथ उसकी बातचीत रुकी पड़ी है। इस दौरान यह देश अपनी सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने पर लगा है। नई मिसाइल का परीक्षण करके उत्तर कोरिया ने अमेरिका को फिर से चुनौती दी है। हाल ही में उत्तर कोरिया ने अपना 73वां स्थापना दिवस भी मनाया था। जानकारी के मुताबिक 1500 किलोमीटर की रेंज वाले इन मिसाइलों के परीक्षणों के दौरान मिसाइलों ने अपने लक्ष्य को भेदने से पहले 7,580 सेकंड में 1500 किलोमीटर की दूरी तय की। हालांकि सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक किम जोंग इस मौके पर मौजूद नहीं था। उत्तर कोरिया ने अपनी नई मिसाइलों को महान महत्व वाला सामरिक हथियार बताया है। इस तरह ये मिसाइलें किम जोंग उन देश की शैन्य शक्ति को मजबूत करने के आह्वान को पूरा करते हैं।
दक्षिण कोरिया के ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ ने कहा कि उनकी सेना अमेरिका और दक्षिण कोरियाई खुफिया जानकारी के आधार पर उत्तर कोरियाई लॉन्च का विश्लेषण कर रही है। दरअसल, जनवरी में सत्तारूढ़ वर्कर्स पार्टी की एक कांग्रेस के दौरान किम जोंग उन ने अमेरिकी प्रतिबंधों और दबाव के सामने अपने परमाणु क्षमता को मजबूत करने की प्रतिज्ञा ली। इस दौरान किम ने लंबी दूरी की अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों, परमाणु संचालित पनडुब्बियों, जासूसी उपग्रह और सामरिक परमाणु हथियार तैयार करने की एक लंबी लिस्ट जारी की।परमाणु एवं बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम को स्थगित करने पर अमेरिका और उत्तर कोरिया के बीच बातचीत साल 2019 से बंद है। इस रुकी हुई बातचीत के बावजूद उत्तर कोरिया अपने मिसाइल कार्यक्रम पर आगे बढ़ रहा है। उत्तर कोरिया का कहना है कि वह अमेरिका और दक्षिण कोरियाई दुश्मनी से निपटने के लिए परमाणु और मिसाइल कार्यक्रमों का संचालन कर रहा है लेकिन इन कार्यक्रमों को बाहरी विश्लेषकों द्वारा इस नजरिए से देखा जाता है कि उत्तर कोरिया अपने हथियार कार्यक्रमों के जरिए वॉशिंगटन और सोल में नेताओं से अपनी राजनीतिक मांगों को पूरा करवा सकता है। आखिरी बार मिसाइल परीक्षण इस साल मार्च में किए गए थे। खास बात यह है कि उत्तर कोरिया ने यह परीक्षण तब किया है जब अमेरिका, दक्षिण कोरिया और जापान टोक्यो में बैठक करने वाले हैं। इस बैठक में उत्तर कोरिया से चर्चा पर बने अवरोध को दूर करने के उपायों पर चर्चा होनी है।