वॉशिंगटन । मेरिका के अंतरिक्ष संस्थान के पर्सेवेरेंस रोवर ने मंगल ग्रह पर चट्टान के पल एकत्र किए जिसमें जीवन की मौजूदगी से जुड़े महत्वपूर्ण सवालों के जवाब छिपे हो सकते हैं। रोवर ने जिजोरो क्रेटर में जिस चट्टान के सैंपल लिए हैं, वह ज्वालामुखी का लावा जमने के कारण बनी है। वैज्ञानिकों का मानना है कि जब जिजोरो क्रेटर में पानी रहा होगा तो वह इसकी अंदर की परतों में चला गया होगा और मुमकिन है कि पानी के सूखने के बाद सिर्फ नमक वहां रह गया। नासा की ग्राउंड टीम के मुताबिक चट्टानी सैंपल में ऐसे नमक हैं जो शायद तब बने होंगे जब भूमिगत जल ने पहले से मौजूद खनिजों की बनावट को बदल दिया होगा। हो सकता है पानी के वाष्पित होने के बाद नमक बचे रह गए हों। नासा ने बताया है कि नमक में शायद पानी भी रहा होगा। अगर ऐसा होता है तो इन्हें 'टाइम कैप्सूल' के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकेगा जो मंगल की जलवायु और जीवन की संभावना के बारे में संकेत दे सकते हैं।
वैज्ञानिकों के मुताबिक हो सकता है कि जब क्रेटर में पानी था तब भूमिगत जल पहुंच गया हो या झील में पानी सूखने के बाद चट्टानों के अंदर रह गया हो। यह साफ नहीं है कि पानी कितने वक्त के लिए यहां रहो होगा लेकिन नासा को यकीन है कि उस काल में सूक्ष्मजीवियों के पैदा होने लायक पर्यावरण जरूर रहा होगा। नासा ने जिजोरो क्रेटर को इस मिशन के लिए चुना है क्योंकि रिसर्च में ऐसी संभावना जताई गई है कि कभी यहां पानी हुआ करता था। इससे यहां कभी जीवन मौजूद होने की उम्मीद बढ़ जाती है। क्रेटर के सेडिमेंट्स में प्राचीन जीवन मिल भी सकते हैं और हो सकता है कि भविष्य में अगर मंगल ग्रह पर जीवन मुमकिन हो, तो उसकी झलक भी यहां दिख सके।