इस्लामाबाद । अफगानिस्तान में तालिबान को मिली जीत का सबसे बुरा असर पाकिस्तान पर पड़ता दिखाई दे रहा है। पाकिस्तान के कट्टरपंथी अब अपने देश में भी इस्लामी शरिया कानून लागू करने की मांग करने लगे हैं। इस्लामाबाद के सबसे कुख्यात मदरसे जामिया हफ्सा में लगे तालिबान के झंडे को उतारने के लिए जब पाकिस्तानी पुलिस पहुंची तो उसे मौलाना अब्दुल अजीज और छात्रों के भारी विरोध का सामना करना पड़ा। मौलाना अब्दुल अजीज ने दावा किया कि इस्लामाबाद प्रशासन ने शरिया लागू करने की मांग को मान लिया है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जब इस्लामाबाद पुलिस जामिया हफ्सा की इमारत पर तालिबान के झंडे उतारने पहुंची तो उसे भारी विरोध का सामना करना पड़ा। खुद मौलाना अब्दुल अजीज पुलिस के सामने खड़े हो गए। जिसके बाद पुलिस टीम झंडों को बिना उतारे ही वापस लौट गई। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में अब्दुल अजीज पुलिसकर्मियों को लताड़ते हुए दिखाई देते हैं। वायरल वीडियो में मौलाना अब्दुल अजीज जामिया हफ्सा के अंदर पुलिसकर्मियों के साथ बहस करते हुए दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने पुलिसकर्मियों को नौकरी छोड़ने तक की समझाइश दे दी।
मौलाना ने धमकी देते हुए कहा कि पाकिस्तान तालिबान आप सभी को सबक सिखाएगा। पुलिस को तालिबान के झंडे हटाने से रोकने के लिए बड़ी संख्या में मदरसे की बुर्का पहने छात्राएं छत पर मौजूद थीं। अब्दुल अजीज ने भी उन्हें आगे आने और उन्हें और उनके छात्रों को गिरफ्तार करने की चुनौती दी, लेकिन पुलिस वाले चुपचाप उनकी बात को सुनते रहे।
सूत्रों के अनुसार अब्दुल अजीज के आदेश पर मदरसा के छात्रों ने शुक्रवार रात जामिया हफ्सा की छत पर अफगान तालिबान के झंडे फहराए थे। महिला पुलिस अधिकारियों सहित एक पुलिस दल शनिवार सुबह झंडे को हटाने के लिए जामिया हफ्सा पहुंचा, लेकिन अब्दुल अजीज और उनके छात्रों द्वारा कार्रवाई का कड़ा विरोध करने के बाद उन्हें खाली हाथ वापस लौटना पड़ा।
इससे पहले भी जामिया हफ्सा पर अब्दुल अजीज ने तालिबान के झंडे फहराए थे। जिसके बाद पुलिस ने इन झंडों को हटवा दिया था। अब्दुल अजीज ने तब कहा था कि उन्होंने अफगान तालिबान को बधाई देने के लिए झंडे लगवाए थे। इस बीच, अब्दुल अजीज के प्रवक्ता ने कहा कि इस्लामाबाद के सहायक आयुक्त और इस्लामाबाद पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने जामिया हफ्सा में अब्दुल अजीज के साथ बातचीत की और उन्होंने अपनी मांगों को उनके सामने रखा। इसमें प्रमुख मुद्दा शरिया लागू करवाने का था।
एक ऑडियो संदेश में, अब्दुल अजीज ने दावा किया कि प्रशासन ने उनकी सभी मांगों को स्वीकार कर लिया है और उन्हें पूरा करने के लिए तीन दिन का समय मांगा है। ऑडियो क्लिप के मुताबिक, उनकी मांगों में उन पर लगा प्रतिबंध हटाना और एच-11 में जामिया हफ्सा मस्जिद को फिर से खोलना शामिल है। उन्होंने कहा कि हमारा मुख्य उद्देश्य शरीयत को लागू करना है।