कोलकाता। कोरोना संकट से जूझ रहे पश्चिम बंगाल में अब मास्क भी एक सियासी जंग का हथियार बन गया है। यहां अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। लेकिन, इस संकट के बीच भी राजनीतिक दल चुनावी तैयारी को लेकर कोई कसर छोड़ना नहीं चाहते हैं। भारतीय जनता पार्टी से लेकर सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस के बीच मास्क के जरिए एक राजनीतिक छाप छोड़ने की पूरी कोशिश की जा रही है। कोरोना संकट के बीच मास्क पहनना जरूरी है, लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसे भी नया कलेवर दे दिया। ममता बनर्जी इन दिनों उसी कलर का मास्क पहन रही हैं, जिस कलर का उनकी साड़ी का बॉर्डर है, इतना ही नहीं मास्क पर पश्चिम बंगाल का नक्शा भी बना है। जिस पर मां लिखा है, याद रहे कि टीएमसी का नारा ही मां-माटी-मानुष है।
सिर्फ ऐसा नहीं है कि मास्क के मामले में ममता बनर्जी ही आगे निकल रही हैं दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी के नेता भी कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। बंगाल भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष भी इन दिनों मास्क पहने नज़र आ रहे हैं, जिस पर भाजपा का कमल का फूल बना हुआ है। लेकिन, इसी पर टीएमसी ने तंज कस दिया। बंगाल सरकार में मंत्री सोबन देव चट्टोपाध्याय का कहना है कि एक भगवा मास्क पहनना लोगों के लिए हितकारी नहीं होगा। हम लोग कोरोना वायरस से जूझ रहे हैं, फिर अम्फान भी आ गया ऐसे में भगवा मास्क कुछ नहीं करेगा। हमें काम ही करना होगा। इस हमले पर भाजपा ने पलटवार किया, भाजपा नेता राहुल सिन्हा ने कहा कि टीएमसी कोरोना वायरस के खिलाफ नहीं लड़ रही है बल्कि भाजपा के खिलाफ लड़ रही है।
भाजपा नेता ने कहा कि टीएमसी अपने आप को बचाने की कोशिश कर रही है, हैरानी नहीं होगी कि वो लोग मास्क पर ममता बनर्जी की तस्वीर लगा लें। राहुल सिन्हा ने कहा कि मास्क पर कमल का फूल लगाना कोई राजनीतिक मसला नहीं है, कुछ समर्थकों ने इसे तैयार किया है। लेकिन इस पर कहीं भी भाजपा नहीं लिखा है, कमल तो राष्ट्रीय फूल है। आखिर टीएमसी को भगवा रंग से इतना डर क्यों लग रहा है? राहुल सिन्हा ने कहा कि संकट के इस वक्त में हम मास्क या साड़ी के रंग पर बहस नहीं करेंगे, बल्कि ये कहेंगे कि बंगाल सरकार ने संकटकाल में किसी को ना तो मास्क दिया और ना ही भोजन। गौरतलब है कि अगले साल होने वाले चुनावों के लिए भाजपा और टीएमसी ने अभी से ही तलवारें खींच ली हैं।