नई दिल्ली: जयपुर से ताल्लुक रखने वाली दीपाली गोयनका ने बिजनेस की दुनिया में अपनी खास पहचान बनाई है। 1969 में एक मारवाड़ी परिवार में जन्मीं दीपाली ने महारानी गायत्री देवी गर्ल्स स्कूल से अपनी पढ़ाई पूरी की। 18 साल की उम्र में 1987 में वेलस्पन ग्रुप के को-फाउंडर और चेयरमैन बालकृष्ण गोयनका से उनकी शादी हो गई। शादी के बाद लंबे समय तक वह गृहिणी की भूमिका में ही रहीं। दीपाली ने 30 साल की उम्र में कारोबारी जगत में कदम रखे। इसके बाद उन्होंने पति के साथ मिलकर वेलस्पन को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया।साल 2002 में दीपाली ने वेलस्पन के डिजाइन स्टूडियो को संभालते हुए अपने करियर की शुरुआत की। कॉटन की खरीदारी से लेकर मैन्यूफैक्चरिंग प्रोसेस तक उन्होंने बिजनेस के हर पहलू को सीखा। अपनी मेहनत और लगन से वह जल्द ही कंपनी में अपनी जगह बनाने में कामयाब रहीं।
2004 में वेलस्पन ने गुजरात में 2,500 एकड़ में फैला एक बड़ा टेक्सटाइल मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट वेलस्पन सिटी स्थापित किया। इससे कंपनी को ग्लोबल मार्केट में अपनी पकड़ मजबूत करने में मदद मिली। 2006 में दीपाली ने 1850 में स्थापित घरेलू लिनेन की प्रसिद्ध निर्माता क्रिस्टी के अधिग्रहण का नेतृत्व किया। इससे वेलस्पन के प्रोडक्ट पोर्टफोलियो का विस्तार हुआ। यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंच गई। 2010 में दीपाली को वेलस्पन के ग्लोबल बिजनेस का सीईओ नियुक्त किया गया। 2014 तक वह कंपनी की जॉइंट मैनेजिंग डायरेक्टर बन गईं।
हालांकि, 2016 में वेलस्पन को एक बड़े झटके का सामना करना पड़ा। तब अमेरिकी रिटेलर टारगेट ने मिस्र के कॉटन के इस्तेमाल के खिलाफ वेलस्पन के साथ अपनी साझेदारी खत्म कर दी। इससे वेलस्पन की साख को नुकसान पहुंचा और कंपनी के शेयरों में भारी गिरावट आई। इस झटके के बावजूद दीपाली के नेतृत्व में वेलस्पन ने डेवलपमेंट और डायवर्सिफिकेशन जारी रखा। कंपनी ने अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोप, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया सहित 32 देशों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
दीपाली के नेतृत्व में वेलस्पन ने तरक्की की नई इबारत लिखी है। कंपनी का मूल्यांकन अब 18,348 करोड़ रुपये है, जो उनकी रणनीतिक दृष्टि और उत्कृष्टता के प्रति अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण है। एक गृहिणी से एक सफल बिजनेस लीडर तक का दीपाली का सफर कई लोगों के लिए प्रेरणा है।