भोपाल । अपनी तीन सूत्रीय मांगों को लेकर प्रदेश भर के मंडी कर्मचारी-अधिकारी पुन: हडताल पर जा सकते हैं। प्रदेश के करीब 10 हजार मंडी कर्मचारी-अधिकारी अपनी मांगें पूरी नहीं होने से नाराज हैं। इसके लिए संयुक्त संघर्ष मोर्चा मप्र मंडी बोर्ड भोपाल रणनीति बना रहा है। यदि मंडीकर्मी हड़ताल करते हैं तो चार महीने में यह तीसरी बार होगा। इससे पहले सितंबर व अक्टूबर में भी वे हड़ताल पर जा चुके हैं। गौरतलब है कि विभिन्न मांगों के समर्थन में तीन से छह सितंबर के मध्य मंडीकर्मियों ने हड़ताल की थी। हालांकि, बाद में सरकार और कर्मचारी संगठन के पदाधिकारियों के बीच सभी मांगों पर सहमति नहीं बन पाई थी। इसके चलते अक्टूबर में फिर से हड़ताल की गई थी, जो लंबी चली थी। आखिरकार सरकार को झुकना पड़ा था और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान व कृषि मंत्री कमल पटेल ने आश्वासन देकर हड़ताल समाप्त कराई थी। इसके बावजूद अब तक मांगों का निराकरण नहीं हो सका है। इसलिए संगठन ने 31 दिसंबर तक का सरकार को समय दिया है। यदि वह तय अवधि में मांगों पर कोई निर्णय नहीं लेती है तो हड़ताल समेत उग्र आंदोलन करने की रणनीति बनाई जा रही है। पदाधिकारियों का कहना है कि मुख्यमंत्री व कृषि मंत्री के निर्देश के बावजूद मंडी बोर्ड के अधिकारी मांगों का निराकरण नहीं कर रहे हैं। इसकी फाइल लंबे समय से दबाकर बैठे हैं। इस कारण अब उग्र आंदोलन करने को बाध्य होना पड़ेगा। मंडी समितियों को मंडी बोर्ड में मर्ज किया जाए। वर्तमान में 50 से अधिक मंडियां हैं, जहां पर कर्मचारियों को वेतन-भत्ते व पेंशन आदि के लिए तरसना पड़ रहा है, क्योंकि मंडियों में पर्याप्त आय नहीं होती है। यदि मंडी समितियां बोर्ड में मर्ज हो जाएंगी तो यह समस्या नहीं रहेगी। वेतन-भत्ते की व्यवस्था सुनिश्चित हो। पूर्व में की गई हड़ताल अवधि का अवकाश मंजूर किया जाए। इस बारे में मंडी बोर्ड भोपाल संयुक्त संघर्ष मोर्चा के प्रदेश संयोजक बीबी फौजदार का कहना है कि तीन सूत्री मांगों का सरकार ने अब तक निराकरण नहीं किया है। मंडी बोर्ड के अफसर फाइल दबाकर बैठे हैं। इसलिए सरकार को 31 दिसंबर तक मांगों का उचित निराकरण करने को कहा है। ऐसा नहीं होने पर प्रदेशभर में उग्र आंदोलन करेंगे।