काबुल हवाई अड्डे की स्थिति अविश्वसनीय रूप से अस्थिर : ब्लिंकन

Updated on 23-08-2021 09:23 PM

वॉशिंगटन । अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से ही हजारों की संख्या में अफगान नागरिकों ने अपने परिवारों के साथ काबुल एयरपोर्ट के बाहर डेरा डाल रखा है। रविवार को एयरपोर्ट के बाहर हुई फायरिंग में 7 लोगों की मौत हुई है।

इसके बावजूद हजारों लोगों की भीड़ अफगानिस्तान से सुरक्षित निकल जाने की आस में विदेशी उड़ानों का इंतजार कर रही है। इस बीच अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने काबुल हवाई अड्डे की स्थिति को अविश्वसनीय रूप से अस्थिर बताया है।

तालिबान ने 14 अगस्त को अफगानिस्तान पर नियंत्रण कर लिया था। अमेरिकी सैनिकों को इस महीने की आखिरी तारीख को अफगानिस्तान से वापल लौटना था।

इससे दो सप्ताह पहले ही तालिबान के कब्जे ने सभी समीकरणों को उलट-पुलट दिया। 20 साल तक अमेरिकी सेना से ट्रेनिंग पाने वाले अफगान नेशनल आर्मी के जवानों ने तालिबान के सामने आसानी से घुटने टेक दिए।

तालिबान के नए शासन से बचने और अमेरिका सहित विभिन्न देशों में शरण लेने के लिए हजारों अफगान व विदेशी नागरिक देश छोड़ने के लिए जद्दोजहट कर रहे हैं।

इस कारण काबुल हवाई अड्डे पर पूरी तरह अराजकता का माहौल पैदा हो गया है। लोग अपने बच्चों को एयरपोर्ट की सुरक्षा दीवार के पार अमेरिकी और नाटो सैनिकों के पास पहुंचा रहे हैं।

ब्लिंकन ने बताया कि हवाईअड्डे के बाहर एंट्री पॉइंट्स पर भारी भीड़ जमा है। यह अविश्वसनीय रूप से परेशान करने वाली स्थिति है। हमने आहत लोगों की दर्दनाक तस्वीरें देखी हैं और यह सुनिश्चित करना बहुत महत्वपूर्ण है कि हम अपनी क्षमता के अनुसार उनके लिए जो अधिकतम बेहतर हो सकता है वह करें। इस समय अमेरिका के लगभग 6000 जवान काबुल में तैनात हैं।

अमेरिका ने दो दिन पहले तक अफगानिस्तान से करीब 18000 लोगों को बाहर निकाला है। इनमें से 1200 अफगान नागरिक हैं। इन लोगों को कतर के रास्ते अमेरिका लेकर जाने की तैयारी है।

आने वाले हफ्तों में अमेरिका ऑपरेशन एलाइज रिफ्यूजी नाम से मिशन चलाने जा रहा है। इससे इनकी संख्या बढ़कर 3500 तक हो सकती है।

इन लोगों को यूएस रिफ्यूजी एडमिशन प्रोग्राम के तहत मदद की जा रही है। अमेरिकी विदेश विभाग ने बताया कि अमेरिका का उद्देश्य आज भी एक शांतिपूर्ण, सुरक्षित अफगानिस्तान बनाने का ही है।

कहा जा रहा है कि अमेरिका 10 हजार तक अफगानी शरणार्थियों को शरण दे सकता है। इनमें से बड़ी संख्या उन लोगों की है जिन्होंने अमेरिकी सेना की अफगानिस्तान में सहायता की है।

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