लखनऊ । बिकरू कांड के बाद एक पहेली की तरह सामने आया विकास दुबे का करीबी जय वाजपेई कानपुर के कई बड़े नेताओं और रईसों के काले धन को ब्याज पर चलाता था। यही नहीं नोटबंदी के दौरान उसने एक बड़े दल के बड़े नेता समेत शहर के कई लोगों के काले धन को ठिकाने लगाया। जय के खिलाफ की गई पड़ताल में यह जानकारियां सामने आई हैं। उधर, जय के 13 दिन से लापता होने को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। उसके घरवाले बीते दो दिनों से कानपुर पुलिस के पास उसके बारे में जानकारी मांगने जा रहे हैं, लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिला। आरटीआई ऐक्टिविस्ट डॉ. नूतन ठाकुर ने कहा है कि वह जय के बारे में जानकारी करने शुक्रवार को एसटीएफ मुख्यालय जाएंगी।
प्रिंटिंग प्रेस में छह हजार रुपए की नौकरी करने वाला जय कैसे करोड़पति बन गया? यह सवाल हर किसी के जहन में है। जानकारी के मुताबिक बिजनेस कमेटी और ब्याज के धंधे से लाखों कमा रहे जय की किस्मत नवंबर 2016 के बाद से एकाएक पलट गई। कमेटी और ब्याज के धंधे के चलते जय शहर के कई प्रमुख लोगों के संपर्क में था और शहर के एक बड़े नेता का उसके यहां काफी आना-जाना था। इस नेता ने नोटबंदी के दौरान करीब तीन करोड़ रुपए जय को सफेद करने के लिए दिए थे।
गैंगस्टर विकास दुबे की सहयोगियों की तलाश में यूपी एसटीएफ की टीम लगातार मध्यप्रदेश में भी खाक छान रही है। ग्वालियर से उसके 2 रिश्तेदारों को हिरासत में लिया गया है। वहीं, उज्जैन में भी यूपी और मध्यप्रदेश पुलिस ने कई लोगों से पूछताछ की है। इस बीच विकास को यूपी पुलिस के हवाले करने जा रहे, एक जवान ने चौंकाने वाला खुलासा किया है। वह रास्ते में गिड़गिड़ा रहा था कि मुझे यूपी पुलिस के हवाले मत करो। उधर, विकास दुबे के बारे में एक और अहम बात सामने आई है कि उसके चार खजांची काली कमाई को ह्वाइट मनी में तब्दील करते थे, इन खजांचियों में जय बाजपेई भी शामिल था, बिकरू गांव में हुए हत्याकांड से पहले इन मैनेजरों के पास 18 करोड़ रुपये था, पुलिस इस पूरे मामले की पड़ताल में जुटी हुई है।