रिन्यूएबल एनर्जी में इंटरेस्ट विकल्प नहीं मजबूरी है, हमारे पास दूसरा रास्ता नहीं है: उपराष्ट्रपति

Updated on 18-09-2024 03:32 PM
गांधीनगर: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज कहा कि रिन्यूएबल एनर्जी में इंटरेस्ट दिखाना विकल्प नहीं बल्कि दुनिया की मजबूरी है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन की समस्या से धरती के वजूद पर खतरा पैदा हो गया है और अगर हमने इसे गंभीरता से नहीं लिया तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। धनखड़ ने चौथे ग्‍लोबल रिन्‍यूएबल एनर्जी इन्वेस्टर्स मीट के समापन सत्र को संबोधित करते हुए यह बात कही। उपराष्ट्रपति ने कहा कि धरती को बचाने के लिए हमारे पास रिन्यूएबल एनर्जी में इनवेस्ट करने के अलावा दूसरा रास्ता नहीं है और जलवायु परिवर्तन के खतरे से निपटने के लिए हमें दिनरात काम करने की जरूरत है।

धनखड़ ने कहा कि भारत रिन्यूएबल एनर्जी के क्षेत्र में दुनिया का नेतृत्व कर रहा है। दुनिया के करीब 16 फीसदी आबादी भारत में रहती है और प्रकृति के साथ तालमेल हमारी 5000 साल पुरानी संस्कृति से जुड़ा है। हमारे वेदों और उपनिषदों में पूरी दुनिया के एक परिवार माना गया है। हम वसुधैव कुटुंबकम की विचारधारा पर चलने वले लोग हैं। भारत दुनिया का इकलौता देश है जिसने कभी भी विस्तारवादी नीति नहीं अपनाई। हम मानते हैं कि युद्ध किसी मसले का हल नहीं है। केवल बातचीत और कूटनीति से ही सभी मुद्दों का हल निकाला जा सकता है।

हरेक को निभानी होगी भूमिका


उपराष्ट्रपति ने कहा कि क्लाइमेट चेंज की समस्या से निपटने के लिए हमें एक ऐसा ईकोसिस्टम बनाने की जरूरत है जहां हरेक को अपनी भूमिका निभानी होगी। भारत की पहल पर सोलर अलायंस बनाया गया। हम दुनिया को बचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके लिए दुनिया की सभी एजेंसियों को मिलकर काम करने की जरूरत है। हरेक को अपनी भूमिका निभानी होगी। जब हम एनर्जी का यूज कर रहे हैं तो हमें अपनी जरूरत के मुताबिक ही इसका इस्तेमाल करना चाहिए। भारत में जिस तरह का विकास हो रहा है, उसका फायदा पूरी दुनिया को फायदा होगा।

इस मौके पर रिन्यूएबल एनर्जी के मिनिस्टर प्रह्लाद जोशी ने कहा कि आज पूरी दुनिया रिन्यूएबल एनर्जी के लिए भारत की तरफ देख रही है। इसकी वजह यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया के लिए सामने एक विजन रखा है। गुजरात के मुख्यमंत्री और देश के प्रधानमंत्री के तौर पर उन्होंने इसमें काफी काम किया है। राज्यों ने 2030 तक 540 गीगावॉट रिन्यूएबल एनर्जी का लक्ष्य रखा है। फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस ने 2030 तक ग्रीन एनर्जी ट्रांजिशन के लिए 386 अरब डॉलर देने का वादा किया है। इससे रिन्यूएबल एनर्जी सेक्तर में 82 लाख नौकरियां पैदा होंगी।
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