भारतीय सेना की इंफ्रेंट्री यूनिट को मिली स्वदेशी एंटी ड्रोन गन, जानिए दुश्मन के इरादों को कैसे करेगी धवस्त

Updated on 14-09-2024 03:45 PM
नई दिल्ली: ड्रोन के बढ़ते खतरे के बीच भारतीय सेना की इंफ्रेंट्री यूनिट को स्वदेशी एंटी ड्रोन गन मिली है और जल्द ही सेना को इससे ज्यादा रेंज वाली एंटी ड्रोन गन भी मिलेगी। इसे स्वदेशी स्टार्टअप ने बनाया है। करीब चार महीने पहले ही सेना की एक यूनिट को ये गन सप्लाई की गई हैं। इससे कुछ बड़े एंटी ड्रोन सिस्टम को भी बनाया गया है और आर्मी और एयरफोर्स से कॉन्ट्रैक्ट साइन हुआ है और इसकी डिलीवरी नवंबर में शुरू हो जाएगी।

'एंटी ड्रोन गन और डिटेक्टर की जोड़ी'

पूरी दुनिया आजकल ड्रोन और एंटी ड्रोन की बात कर रही है चाहे रूस और यूक्रेन का युद्ध हो या इस्राइल और हमास के बीच की जंग। ड्रोन का इस्तेमाल जमकर हो रहा है। दुनिया भर की फौज ड्रोन के इस्तेमाल को लेकर सतर्क हैं। भारत में भी लगातार एंटी ड्रोन सिस्टम पर काम हो रहा है और कई स्टार्ट अप इस पर काम कर रहे हैं। बिग बैंग बूम सॉल्यूशंस ने सेना को एंटी ड्रोन गन सप्लाई की हैं। स्टार्ट अप के वाइस प्रेजिडेंट गौरव शर्मा ने बताया कि एंटी ड्रोन गन और डिटेक्टर की जोड़ी है। डिटेक्टर 360 डिग्री में चार किलोमीटर के दायर में किसी भी ड्रोन को डिटेक्ट कर सकता है। इसे एक टैबलेट से जोड़ा जाता है और अगर इसके दायरे में कोई भी ड्रोन आता है तो इसमें अलार्म बजेगा।

कैसे काम करता है?

डिटेक्टर पैसिव सिस्टम है यानी यह कहां पर लगाया है इसका पता नहीं चल पाएगा। इसलिए इसे लगातार ऑन रख सकते हैं। डिटेक्टर के जरिए ड्रोन की डायरेक्शन का पता चलते ही उस डायरेक्शन में एंटी ड्रोन गन को करना होता है और इसके बटन को दबाना होता है। गन से 45 डिग्री की एक बीम निकलती है जो आगे जाकर एक जाल की तरह ड्रोन को घेर लेती है और ड्रोन ब्लाइंड हो जाता है। ड्रोन के पास कोई सिग्नल नहीं रहता है और वह जाम हो जाता है। इसमें अलग-अलग तरह के ड्रोन को काउंटर करने के लिए अलग अलग तरह की फ्रिक्वेंसी है। यह गन बैटरी से चलती है जिसे मोबाइल की तरह ही चार्ज किया जा सकता है। पूरी चार्ज बैटरी 8 घंटे काम करती है। अगर सीधे पावर पॉइंट से कनेक्ट करें तो लगातार भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके ऊपर साइट भी लगाई जा सकती है।

पैदल सैनिकों के हिसाब से यह बनाई गई है ताकि वह इसे फॉरवर्ड पोस्ट तक ले जा सकें। कई जगह सेना की पोस्ट 15 हजार से लेकर 18 हजार फीट तक की ऊंचाई पर हैं। गन का वजन 4 किलो है और डिटेक्टर का वजन करीब 9 किलो है। गन की रेंज 2 किलोमीटर है।

प्रोटोटाइप बनाने को लिए मंत्रालय देता है मदद

आर्मी, नेवी और एयरफोर्स की जरूरतें स्वदेशी कंपनियां पूरी कर सकें इसलिए रक्षा मंत्रालय iDEX प्रोग्राम के तहत स्टार्टअप को प्रोटोटाइप बनाने के लिए फंड देता है। सेनाओं की जरूरत के हिसाब से अगर स्टार्टअप ने कुछ डिवेलप किया है तो प्रोटोटाइप के लिए मंत्रालय मदद करता है और फिर उस प्रॉडक्ट को सेनाओं के लिए लिया जाता है। इस वक्त पूरी दुनिया में ड्रोन का खतरा बढ़ा है और एंटी ड्रोन सिस्टम पर लगातार काम हो रहा है। सेना ने भी बॉर्डर एरिया में एंटी ड्रोन सिस्टम बढ़ाए हैं।
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