दुशान्बे । अफगानिस्तान में तालिबान राज को लेकर पैदा हुए हालातों के मद्देनजर दुनिया के देशों में चिंता जताई जा रही है। इसे लेकर ताजिकिस्तान में एक अहम बैठक होने वाली है जिसमें भारत समेत कई देशों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। वहीं, ईरान के नए विदेश मंत्री हुसैन आमिर अब्दोल्लाहियान ने अपने भारत दौरे को फिलहाल टाल दिया है क्योंकि वह भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर से दुशांबे में मुलाकात करेंगे। इसके बाद वह भारत आएंगे। दोनों के बीच यह मुलाकात अफगानिस्तान में तालिबान के शासन और पाकिस्तान की भूमिका को देखते हुए काफी अहम मानी जा रही है। एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक दुशांबे में होने वाली बैठक में चीन के विदेश मंत्री वान्ग यी और पाकिस्तानी समकक्ष शाह महमूद कुरैशी भी शामिल होंगे। हालांकि, अभी यह साफ नहीं है कि जयशंकर उनसे मुलाकात करेंगे या नहीं। इस बैठक में 17 देशों के प्रतिनिधि शामिल होंने वाले हैं। इसके अलावा शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन और सीएसटीओ (कलेक्टिव सिक्यॉरिटी थ्रेट ऑर्गनाइजेशन) के सेक्रटरी जनरल शामिल होंगे। सीएसटीओ रूस, आर्मीनिया, बेलारूस, कजाकिस्तान, किरगिस्तान और ताजिकिस्तान का सैन्य गठबंधन है।
ईरान ने अफगानिस्तान में चुनी हुई सरकार की मांग की है। उसका कहना था कि देश के सभी जातीय समूहों के हितों को दर्शाते हुए एक व्यापक और समावेशी सरकार स्थापित करनी चाहिए। ईरान ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से भी अपील की थी कि अफगानिस्तान को मानवीय सहायता प्रदान करने और ऐसी कोई स्थिति उत्पन्न होने से रोकने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ने को कहा था जिससे लोग शरणार्थी बनने को मजबूर हों। ईरान ने पंजशीर में तालिबान के हमले को लेकर कड़ी चेतावनी भी दी थी। ईरान के विदेश मंत्रालय ने कहा था कि तालिबान लक्ष्मण रेखा को पार नहीं करें। इतना ही नहीं, ईरान ने यह भी बताया था कि वह पंजशीर में पाकिस्तान के हस्तक्षेप की जांच कर रहा है। ईरानी प्रवक्ता ने कहा कि पंजशीर के कमांडरों की 'शहादत' बहुत ही निराशाजनक है और ईरान बीती रात हुए हमलों की बेहद कड़े शब्दों में निंदा करता है।