लंदन । जंग का मैदान बने अफगानिस्तान में अस्थिरता के चलते हालात बद से बदतर हो गए हैं। उधर, तालिबान को ‘क्लीनचिट’ देने वाली पाकिस्तान सरकार भी अपने ही देश में चुनौतियों से निपटने में नाकाम सिद्ध हो रही है। उधर, इमरान खान सरकार अफगान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) के खिलाफ आग उगलती रही, इधर वही एनएसए सरकार के सबसे बड़े दुश्मन के साथ मुलाकात कर रहे हैं। हमदुल्ला मोहिब लंदन में पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से मिले हैं और इसके बाद से चर्चा तेज हो गई है कि दोनों राजनीतिक प्लानिंग को अंजाम देने में लगे हैं।
आधिकारिक बयान में बताया गया है कि मोहिब और शांति के राज्य मंत्री सैयद सादत नदेरी ने लंदन में ‘साझा हित’ के मुद्दों पर चर्चा की है। इसके बाद से ही राजनीतिक गलियारों चर्चा तेज हो गई है कि पाकिस्तान की मौजूदा सरकार का रुख देखने के बाद अफगानिस्तान ने उसके विरोधियों से हाथ मिलाने पर ध्यान देना शुरू कर दिया है। खासकर तब, जब तालिबान के साथ मिलकर लड़ने के आरोप पाकिस्तान की सेना, खुफिया एजेंसियों से लेकर वहां पनप रहे आतंकी संगठनों पर लग रहे हैं।
मोहिब ने मीडिया को दिए इंटरव्यू में भी दावा किया है कि खुफिया एजेंसियों के मुताबिक तालिबान के 15 हजार नए लड़ाके अफगानिस्तान में दाखिल हो रहे हैं जबकि पाकिस्तान से 10 हजार तालिबानी लड़ाके आ चुके हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि तालिबान को पाकिस्तान में पहन दी जा रही है और पड़ोसी देश में वे आराम से रह रहे हैं। पिछले दिनों रिपोर्ट्स में किए गए दावों का भी मोहिब ने समर्थन किया है और कहा कि इन लड़ाकों का पाकिस्तान के अस्पतालों में इलाज चल रहा है और उन्हें सेना से भी समर्थन मिल रहा है। इससे पहले अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने भी पाकिस्तान का नाम लिए बिना तालिबान से कहा था कि अगर वह देश से प्यार करता है तो डुरंड लाइन को नहीं मानेगा और सवाल किया था कि क्या वह किसी बाहरी के कहने पर चल रहा है?
अफगान एनएसए भी पाकिस्तान का नाम लिए बिना यह कह चुके हैं कि किसी भी बाहरी देश को अफगान सरकार के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। मोहिब के साथ पाकिस्तान का तल्ख रवैया काफी वक्त से जारी है। पाकिस्तानी विदेश मंत्री कुरैशी ने अफगानिस्तान के एक न्यूज चैनल को दिए एक इंटरव्यू में वहां जारी हिंसा के लिए तालिबान को क्लीनचिट दी थी। उन्होंने कहा था कि अफगानिस्तान में हिंसा के लिए केवल तालिबान ही जिम्मेदार नहीं है, बल्कि वो लोग भी उतने ही जिम्मेदार है जो युद्ध से पीड़ित अफगानिस्तान में शांति नहीं लाना चाहते हैं।
उनका निशाना अफगानिस्तान की मौजूदा सरकार पर था। इस पर मोहिब ने लिखा था कि यह (कुरैशी का बयान) तब आता है जब तालिबान ने देश भर में अफगान लोगों के खिलाफ हिंसक हमले जारी रखे हुए है। हम जानते हैं कि वे (तालिबान) ऐसा करने के लिए कैसे और क्यों सक्षम होते हैं। कुरैशी या तो बेखबर हैं, अज्ञानी हैं या सहयोगी हैं। हो सकता है कि वह इस बात को भी खारिज कर दें कि ओसामा पाकिस्तानी सैन्य मुख्यालय के बगल में पाया गया था।