Tax on Share Profit: शेयर बाजार में निवेश पर एक नहीं बल्कि कई तरह के टैक्स लगाए जाते हैं। मोटे तौर पर समझ लें कि जैसे ही शेयर बाजार में एंट्री किए, आपको कम से कम पांच तरह के टैक्स का भुगतान तो करना ही होगा। आइए, समझाते हैं कि कौन-कौन से टैक्स का भुगतान आपको करना होगा...कैपिटल गेन टैक्स
शेयरों में निवेश पर लगने वाले टैक्स पर चर्चा करने से पहले हम सबसे पहले कैपिटल गेन टैक्स की चर्चा करते हैं। पिछले महीने ही वित्त मंत्री ने इसमें बढ़ोतरी की है। दरअसल, आप शेयर बाजार में स्टॉक में निवेश से जो मुनाफा कमाते हैं, उस पर केंद्र सरकार कैपिटल गेन टैक्स वसूलती है। इसे इस तरह से मान लें कि जब आप शेयर बाजार से कुछ कमाई करते हैं तो उस मुनाफे में कुछ हिस्सा आपको टैक्स के रूप में भी देना होगा।
कैपिटल गेन टैक्स के दो रूप
कैपिटल गेन टैक्स का अर्थ समझ लेने के बाद आप समझिए कि इसके दो रूप हैं। यह तय होता है कि शेयर खरीदने के बाद उसे आपने अपने पास कितने दिनों तक रखा। किसी शेयर को खरीदने के बाद उसे आप 12 महीने से अधिक अवधि के लिए रखते हैं तो वह लॉन्ग टर्म माना जाएगा। इस पर आपको लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स चुकाना होगा। यदि आपने शेयर को 12 महीने या उससे कम अवधि के लिए रखा तो उसे शॉर्ट टर्म माना जाएगा। इसलिए इस पर शार्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगेगा।
शार्ट टर्म और लॉन्ग टर्म पर कितना टैक्स
आप समझ गए कि शेयर बाजार में लॉन्ग टर्म और शॉर्ट टर्म क्या है। अब आप इस पर लगने वाले टैक्स का रेट भी समझ लीजिए। यदि आप शार्ट टर्म के लिए शेयर अपने पास रखते हैं तो आपको मुनाफे पर 20 फीसदी का टैक्स चुकाना होगा। बीते 23 जुलाई से पहले इस टैक्स की रेट 15 फीसदी थी। बजट 2024-25 के जरिये इसे बढ़ा कर 20 फीसदी कर दिया गया। लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर पहले 10 फीसदी का टैक्स का लगता था, जिसे बजट में बढ़ा कर 12.5 फीसदी कर दिया गया।
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन तो एक और छूट
यदि आपने लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन के जरिये कमाई की है, तो आपको एक और छूट मिलती है। वह छूट है प्रोफिट में कुछ रकम घटा दी जाएगी। नियम है कि यदि साल में आप एक लाख रुपये तक का लॉन्ग टर्म प्रोफिट कमाते हैं तो उस पर कोई टैक्स नहीं देना पड़ेगा। पिछले महीने पेश बजट में इसे बढ़ा कर 1.25 लाख रुपये कर दिया गया है। मतलब कि आपको 1.25 लाख रुपये से ज्यादा के मुनाफे पर ही लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना होगा।
एक उदाहरण से समझे
मान लीजिए कि मोनिका ने मई 2021 में एसबीआई का 500 शेयर 350 रुपये के भाव पर खरीदा। दो साल से भी ज्यादा समय तक उसे अपने पास रखने के बाद उसने 800 रुपये के भाव पर एसबीआई का शेयर बेच दिया। इस तरह से उन्होंने इस खरीद-बिक्री में कुल 2,25,000 का मुनाफा कमाया। चूंकि उन्होंने शेयरों की बिक्री दो साल के बाद की, इसलिए यह लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन माना जाएगा। नियमानुसर उसे 1.25 लाख रुपये के मुनाफे पर कोई टैक्स नहीं देना होगा। शेष बचे एक लाख रुपये। तो इस रकम पर उन्हें 12.5 फीसदी का टैक्स देना होगा। मतलब कि उन्हें 12,500 रुपये का टैक्स चुकाना होगा।
डिविडेंड पर टैक्स
जब कोई कंपनी अपने मुनाफे का कुछ हिस्सा अपने शेयरहोल्डरों को वितरित करने का फैसला करती है, तो उसे ही डिविडेंड कहा जाता है। यदि कोई शेयरहोल्डर कंपनी से डिविडेंट ले रहा है तो उसे उस आमदनी पर टैक्स चुकाना होगा। हालांकि, आपको जितना डिविडेंड मिला, उसे आपके टैक्सेबल इनकम में जोड़ दिया जाएगा। फिर आपके टैक्स स्लैब के हिसाब से उस पर टैक्स लगाया जाएगा। अगर आप 10 फीसदी के टैक्स स्लैब में आते हैं तो डिविडेंट इनकम पर इतना ही टैक्स देना होगा। यदि आप 30 फीसदी के ब्रैकेट में आते हैं तो आपको 30 फीसदी टैक्स चुकाना होगा। यदि आपकी आमदनी टैक्स फ्री वाले स्लैब में है तो आपको कोई टैक्स नहीं देना होगा।
टीडीएस भी काटा जाएगा
अगर किसी व्यक्ति की एक वित्त वर्ष में डिविडेंट इनकम से कुल आमदनी 5,000 रुपये या इससे ज्यादा है, तो डिविडेंड पेमेंट करने वाली कंपनी 10 फीसदी के हिसाब से टीडीएस भी काटेगी। यह टीडीएस सीधे इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के खाते में जमा कर दिया जाएगा। यदि करदाता की आमदनी उतनी नही है तो यह पैसा रिटर्न भरने के बाद वापस कर दिया जाएगा।
सेक्युरिटीज ट्रांजेक्शन टैक्स
सेक्युरिटीज ट्रांजेक्शन टैक्स या एसटीटी ऐसा टैक्स है, जो हर किसी को चुकाना होता है। चाहे आपको शेयर बाजार में निवेश पर घाटा हुआ हो या मुनाफा। जैसे ही कोई शेयर आप खरीदते या बेचते हैं, आपको STT का पेमेंट करना पड़ेगा। इस समय एसटीटी का रेट 0.1% है। यह टैक्स शेयर बाजार में हुए किसी भी ट्रांजेक्शन के टोटल वैल्यू पर लगाया जाता है। लेकिन, अगर आप डे ट्रेडिंग करते हैं, यानी एक ही दिन स्टॉक खरीदते और बेचते हैं, तो टोल ट्रेड वैल्यू पर 0.025% की दर से STT तभी वसूला जाएगा, जब आप उस स्टॉक को बेच देते हैं।