SC में यासीन मलिक की फिजिकल पेशी पर सुनवाई आज:कोर्ट ने कहा था- आतंकी अजमल कसाब को फेयर ट्रायल मिल सकता है, तो यासीन मलिक को क्यों नहीं

Updated on 28-11-2024 02:09 PM

जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक की फिजिकल पेशी पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई होगी। जम्मू ट्रायल कोर्ट ने मलिक को फिजिकल पेशी का आदेश दिया था। इस आदेश को सुरक्षा का हवाला देते हुए CBI ने शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी। फिलहाल हत्या और अपहरण के आरोप में मलिक तिहाड़ जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है।

इससे पहले 21 नवंबर (गुरुवार) को भी सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई हुई थी। तब शीर्ष अदालत ने कहा था कि जब देश में आतंकी अजमल कसाब को फेयर ट्रायल मिल सकता है, तो यासीन मलिक को क्यों नहीं। वर्चुअल माध्यम से सुनवाई के लिए जेल में ही स्पेशल बेंच बनाने की बात कही गई थी।

21 नवंबर को पिछली सुनवाई में 3 बड़ी बातें...

  • 21 नवंबर को केंद्रीय एजेंसी की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था, हम मलिक को जम्मू-कश्मीर नहीं ले जाना चाहते हैं। उसके फिजिकल पेशी से सुरक्षा का मुद्दा जुड़ा हुआ है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लेकिन सवाल-जवाब ऑनलाइन माध्यम से कैसे किए जाएंगे? जम्मू में खराब इंटरनेट कनेक्टिविटी का भी जिक्र किया।
  • फेयर ट्रॉयल पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि सरकार ऐसे मामलों में नियमों के अनुसार नहीं चल सकती। मलिक कोई साधारण कैदी नहीं है, वह कई बार पाकिस्तान जा चुका है और वह हाफिज सईद के साथ मंच भी साझा कर चुका है। इसलिए उसे दिल्ली से जम्मू ले जाना बहुत रिस्की है। उसके खिलाफ गवाहों को भी खतरा हो सकता है।
  • मलिक ने भी फिजिकल पेशी की मांग की थी। जिस पर SG ने कहा कि अलगाववादी नेता मलिक फिजिकल रूप से पेश होने पर जोर देकर चाल चल रहा है, वह चाहता हैं कि बिना वकील के कोर्ट में पेश हों। अगर वह फिजिकल रूप से पेश होने पर अड़ा हैं तो केस दिल्ली ट्रांसफर किया जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- सुनवाई के लिए जेल में ही बने स्पेशल बेंच 

21 नवंबर की सुनवाई में कोर्ट ने कहा था कि मलिक को सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में वर्चुअल माध्यम से शामिल होने की अनुमति दी जा सकती है। पीठ ने इस बात पर सहमति जताई कि सुनवाई के लिए जेल में ही कोर्ट बनाया जा सकता है। इसके बाद पीठ ने केंद्र से पूछा कि कितने गवाह पेश होंगे और उनकी सुरक्षा व्यवस्था क्या होगी। पीठ ने कहा, हमें यह देखना होगा कि जज को सिर्फ़ इसी कोर्ट के लिए जेल में कैसे तैनात किया जाएगा।

क्या था मामला? 

यह मामला 1990 में श्रीनगर के बाहरी इलाके में भारतीय वायुसेना के चार कर्मियों की हत्या और 1989 में तत्कालीन गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद के अपहरण से जुड़ा है। दोनों मामलों में यासीन मलिक मुख्य आरोपी है।


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