भोपाल । एक कर्मचारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि राज्य शासन को पांच साल की सेवा अवधि पूर्ण होने पर स्थानांतरण करने का पूरा अधिकार है। याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता पांच साल से एक जगह जमा हुआ है, अत: तबादला उचित है। मामला मौजूदा स्थान से 400 किलोमीटर दूर भेजे जाने के रवैये को चुनौती से संबंधित था। न्यायमूर्ति संजय द्विवेदी की एकलपीठ के समक्ष मामला सुनवाई के लिए लगा। इस दौरान राज्य की ओर से उप महाधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने याचिका का विरोध किया। उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ता पांच साल से सागर में समूह प्रेरक के पद पर कार्यरत है। 2015 में नियुक्ति के बाद से उसका कहीं तबादला नहीं किया गया। सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश सहित अन्य प्रावधानों की रोशनी में नियमानुसार स्थानांतरण आदेश जारी किया गया है। जिसे दी गई चुनौती बेमानी होने के कारण याचिका खारिज किए जाने योग्य है। इससे पूर्व याचिकाकर्ता की ओर से उसके अधिवक्ता ने दलील दी कि याचिकाकर्ता जहां पदस्थ है, वहां एक पद रिक्त है, इसलिए याचिकाकर्ता को वहीं रखा जाना चाहिए था। लेकिन ऐसा नहीं किया गया। इससे साफ है कि तबादला किसी के दबाव में दुर्भावनावश किया गया है। सागर से मुरैना भेजे जाने से याचिकाकर्ता को परेशानी हो रही है। वह परिवार सहित 400 किलोमीटर दूर जाने की स्थिति में नहीं है। इससे उसके बच्चों की पढ़ाई सहित अन्य कई व्यवस्थाओं में बाधा उत्पन्न् हो जाएगी। हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद राज्य शासन के पक्ष को मजबूत पाते हुए याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने साफ किया कि राज्य शासन को पांच साल की सेवा अवधि पूर्ण होने पर स्थानांतरण करने का पूरा अधिकार है।यह मामला न्यायमूर्ति संजय द्विवेदी की एकलपीठ के समक्ष सुनवाई के लिए लगा। इस दौरान राज्य की ओर से उप महाधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने याचिका का विरोध किया।