इस्लामाबाद । पाकिस्तान के पंजाब राज्य के रहीमयारखान स्थित सिद्धिविनायक मंदिर में तोड़फोड़ और आग लगाने के मामले में भोंग शरीफ पुलिस ने लगभग 150 अज्ञात लोगों के खिलाफ अलग-अलग 6 धाराओं में चार अगस्त को एफआईआर दर्ज की है। मामले की जांच अब्दुल हमीद नाम के एक एएसआई को सौंपी गई है। पाकिस्तान के चीफ जस्टिस ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लिया है। पाक सु्प्रीम ने पंजाब के मुख्य सचिव और आईजी को शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में तलब किया है।
इस बीच पाकिस्तान में हिंदू परिषद के अध्यक्ष और नेशनल असेंबली के सदस्य डॉक्टर रमेश कुमार वंकवानी ने ट्वीट कर बताया कि गणेश मंदिर पर हमले के बाद उसे सही कराने का काम शुरू कर दिया गया है। सिद्धिविनायक मंदिर में तोड़फोड़ की घटना के 24 घंटे से ज्यादा बीत जाने के बाद एफआईआर दर्ज की गई। सभी एफआईआर अज्ञात लोगों के खिलाफ की गई हैं। जबकि, वायरल वीडियो में तोड़-फोड़ करने वालों के चेहरे साफ दिखाई दे रहे हैं। इससे पहले गुरुवार शाम पाक पीएम इमरान खान ने दोषियों के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया था।
मंदिर में तोड़फोड़ और आग लगाए जाने का मामला सामने आने के बाद भारत ने भी नाराजगी व्यक्त की है। केंद्र सरकार ने दो टूक कहा कि पाकिस्तान अल्पसंख्यकों की रक्षा करने में पूरी तरह से विफल रहा है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा और उत्पीड़न की ऐसी घटनाएं बेरोकटोक जारी हैं। उन्होंने कहा कि मंदिर पर हमले के अलावा, हिंदू समुदाय के आसपास के घरों पर भी हमला किया गया। पाक में पूजा स्थलों पर हमलों सहित अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ हिंसा, भेदभाव और उत्पीड़न की घटनाएं जारी है।
हर तरफ आलोचना होने के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ने घटना की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा कि इस मामले में जो भी दोषी हैं, उन्हें गिरफ्तार कर दंडित किया जाएगा। यह घटना बुधवार शाम की है, जब सादिकाबाद जिले के भोंग शरीफ गांव में सैकड़ों लोगों ने मंदिर में घुसकर तोड़फोड़ की। मंदिर में तोड़फोड़ का वीडियो सोशल मीडिया पर भी जमकर वायरल हो रहा है।
हिंदुओं समुदाय के लोगों ने इस घटना के बाद बड़ी संख्या में एकत्र होकर गुरुवार को प्रदर्शन करते हुए अपना विरोध दर्ज करवाया था। इसके बाद पाकिस्तान के चीफ जस्टिस ने इस घटना पर स्वत: संज्ञान लिया और कोर्ट ने मामले की सुनवाई शुक्रवार को तय की है। चीफ जस्टिस ने हिंदू परिषद के अध्यक्ष और नेशनल असेंबली के सदस्य डॉक्टर रमेश कुमार वंकवानी से मुलाकात के बाद स्वत: संज्ञान लेने का फैसला लिया।