बर्लिन । महामारी कोरोना के घातक वायरस के दंश को झेल रही दुनिया में वैक्सीन को लेकर शंका और कुशंकाओं का बाजार भी कुछकम गर्म नहीं है। जर्मनी की एक नर्स के कारनामें ने लोगों को हैरान कर दिया है। इस नर्स ने 8600 लोगों को कोविड-19 वैक्सीन लगाने की जगह खाली इंजेक्शन लगा डाले। पुलिस की जांच में पता लगा है कि महिला ने हजारों बुजुर्ग मरीजों को फर्जी टीके लगा दिए। अब इन लोगों से एक बार फिर वैक्सीन लगवाने को कहा गया है। जर्मनी के फ्रीसलैंड के एक वैक्सिनेशन सेंटर की इस नर्स ने सोशल मीडिया पर भी वैक्सीन्स पर शक जाहिर किया था लेकिन इतनी बड़ी संख्या में बुजुर्गों को नकली इंजेक्शन लगाने के पीछे उसका क्या मकसद था, यह पता लगाया जा रहा है। स्थानीय पार्षद स्वेन ऐंब्रोसी ने बताया है कि प्रशासन ने सभी प्रभावित लोगों से संपर्क किया है।
इन लोगों को कोविड-19 वैक्सीन की जगह सेलीन सलूशन दिया गया था जो अपने आप में हानिकारक नहीं होता है लेकिन इसकी वजह से अब तक इतने लोग इन्फेक्शन के खतरे में जीते रहे। फिलहाल यह साफ नहीं है कि नर्स के खिलाफ क्या ऐक्शन लिया गया है। देश की 55 फीसदी आबादी को वैक्सीन लग चुकी है और जर्मन चांसलर ऐंजेला मर्केल इसे 75 फीसदी तक जल्द ही पहुंचाना चाहती हैं। इसके लिए उन्होंने ऐलान किया है कि जिन लोगों को वैक्सीन नहीं लगी है, 11 अक्टबूर से उनके कोरोना टेस्ट मुफ्त नहीं रहेंगे। इस नियम से ऐसे लोग बाहर रहेंगे जो वैक्सीन लगवाने के योग्य नहीं हैं, जिनमें बच्चे और मेडिकल कारणों से ऐसा न कराने वाले लोग शामिल हैं। जर्मनी ने मार्च में सभी कोरोना परीक्षण निशुल्क कर दिए थे।